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"पाक को भरोसेमंद नहीं मानता भारत"

१६ मार्च २०११

भारत और पाकिस्तान की सरकारों के बीच शांति प्रक्रिया की बहाली की बातें तो बढ़ चढ़कर होती हैं लेकिन विकीलीक्स द्वारा जारी किए गए एक गोपनीय केबल के मुताबिक भारत सरकार को पाकिस्तान पर कतई भरोसा नहीं रहा.

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तस्वीर: dpa

केबल के मुताबिक भारत ने कई देशों के राजदूतों के साथ बातचीत के दौरान पाकिस्तान की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए और 26/11 के आतंकी हमलों की जांच पर भी संदेह जाहिर किया. इस केबल में भारत के विदेश सचिव शिवशंकर मेनन और अमेरिकी राजदूत डेविड सी मलफर्ड समेत 14 देशों के राजदूतों के साथ हुई बातचीत का ब्यौरा दिया गया है. यह बैठक 5 जनवरी 2009 को हुई थी जिसमें मेनन ने पाकिस्तान को भेजे गए एक डोजियर के बारे में चर्चा की थी.

Shiv Shankar Menon
शिव शंकर मेननतस्वीर: picture-alliance/ dpa

मुंबई आतंकी हमलों के दो महीने बाद हुई बैठक के दौरान ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त ने पाकिस्तान के उस प्रस्ताव पर मेनन से सवाल पूछा जिसमें साझा जांच की बात कही गई. इसके जवाब में मेनन ने कहा, "आधारभूत समस्या यह है कि पाकिस्तान किसी भी हमले से संबंध होने की बात नकारता है. जब वे कहते हैं कि जांच करने को कुछ है ही नहीं, तो साझा जांच करने का क्या मतलब है?"

जांच पर सवाल

केबल में लिखा गया, "मेनन ने कहा कि भारत अपने यहां जांच करेगा और पाकिस्तान अपने यहां करे. लेकिन अब भारत ने अपनी जांच के नतीजे पेश कर दिए हैं और सहयोग करना या न करना पाकिस्तान के हाथ में है. मेनन ने बताया कि पाकिस्तान जमात उद दावा पर बैन का दावा करता है लेकिन संगठन की वेबसाइट तो लगातार अपडेट हो रही है."

केबल में साफ शब्दों में लिखा गया कि मेनन के मुताबिक इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि पाकिस्तान एक भरोसेमंद साझीदार है.

केबल में तो भारत पर भी सवाल उठाए गए. इसमें कहा गया, "डोजियर में हमलावरों के पाकिस्तानी मूल और पाकिस्तान से मिले समर्थन की बात तो कही गई है लेकिन किसी पाकिस्तानी अधिकारी या उसके सुरक्षा बलों पर इल्जाम नहीं लगाए गए हैं."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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