पाकिस्तान ने कश्मीर विवाद नासूर बताया
२५ सितम्बर २०१०अमेरिका दौरे पर गए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक बार फिर कश्मीर के मुद्दे पर बयान दिया है. एशिया सोसायटी की एक बैठक में कुरैशी ने कहा," मुझे हैरानी है कि लोग ये मानने को तैयार नहीं कि कश्मीर विवाद का हल हुए बगैर दक्षिण में स्थायी शांति नहीं सकती."
कुरैशी का बयान पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के उस बयान से एक दिन पहले आया है जिसमें कहा गया कि कश्मीर विवाद का तब तक हल नहीं हो सकता जब तक भारत उसे अपना अटूट हिस्सा मानना बंद न कर दे. विदेश मंत्रालय का ये भी कहना है कि भारत कश्मीर विवाद का हल अपने देश के संविधान के दायरे में रह कर करना चाहता है जो मुमकिन नहीं.
कुरैशी ने कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों पर कश्मीरी युवाओं, बच्चों और महिलाओं की हत्या करने का आरोप लगाया, साथ ही कहा," कब्जा और अत्याचार कश्मीरी मिजाज को नहीं बदल सकती. वो लोग आत्मनिर्णय का हक मांग रहे हैं और उनकी आवाज दबाई नहीं जा सकती."
कुरैशी ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से कश्मीर के हालात की गंभीरता को समझने की गुहार लगाई. उन्होंने मांग रखी कि,"व्यवहारिक कदम उठाए बगैर दक्षिण एशिया के नासूर का इलाज नहीं हो सकता. दुनिया के नेता के रुप में संयुक्त राष्ट्र की ये खास जिम्मेदारी है कि वो कश्मीर विवाद का न्यायिक और शांतिपूर्ण हाल निकाले"
मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी की बैठक में कुरैशी ने कश्मीर मुद्दे को फलीस्तीन समस्या के साथ रखा और कहा कि ये दोनों संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में सबसे लंबे समय से चली आ रही समस्याएं हैं.
कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के आधार पर कश्मीर मुद्दे का न्यायिक और शांतिपूर्ण हल चाहता है जो जम्मू कश्मीर के लोगों की इच्छा के अनुरूप हो. कुरैशी ने कश्मीर के मौजूदा हालात पर भी गहरी चिंता जताई. खासतौर से विरोध प्रदर्शनों में पुलिस की गोली हुई 100 से ज्यादा मौतों को पाकिस्तान ने क्रूर बताते हुए इसकी निंदा की.
इससे पहले न्यूयॉर्क में मौजूद भारतीय विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने कहा था कि कश्मीर भारत का आंतरिक मसला है और भारत को सलाह देने से पहले पाकिस्तान को इसके कुछ हिस्सों पर गैरकानूनी कब्जा तुरंत छोड़ देनी चाहिए. इससे पहले भारत पाकिस्तान को अपना घर संभालने और कश्मीर के लोगों की भलाई के लिए आतंकवाद को रोकने की सलाह दे चुका है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः एस गौड़