पाकिस्तान में इस्लामिक स्टेट का हमला
४ जनवरी २०२१एक पाकिस्तान अधिकारी के मुताबिक 11 बंदूकधारियों ने रविवार को कोयले की खदान में काम करने वाले अल्पसंख्यक शिया हजारा समुदाय के 11 लोगों को पहले अगवा कर लिया और फिर उन्हें जान से मार दिया. बाद में इस्लामिक स्टेट ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान छापा, जिसमें उसने इस हमले की जिम्मेदारी ली.
सुरक्षाकर्मी मोअज्जम अली जतोई ने बताया कि हमलावरों ने उन 11 लोगों की ही शिया हजारा के रूप में पहचान की और फिर बाकियों को छोड़ कर सिर्फ उन्हीं लोगों को जान से मारने के लिए पास के पहाड़ों में ले गए. मोअज्जम अली लेविस फोर्स के सदस्य हैं जो इस इलाके में पुलिस और अर्ध-सैनिक बल के तौर पर तैनात है.
उन्होंने बताया कि उनमें से छह ने तो वहीं दम तोड़ दिया और बाकी पांच की अस्पताल के रास्ते में मौत हो गई. पुलिस द्वारा जारी किए गए वीडियो से पता चला कि सभी मृतकों की आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी और उनके हाथ पीछे की तरफ बंधे थे. हमला प्रांत की राजधानी क्वेट्टा से करीब 48 किलोमीटर दूर मच्छ कोयला क्षेत्र के पास हुआ.
हमले की खबर हजारा समुदाय में तुरंत फैल गई जिसके बाद समुदाय के लोग विरोध में शहर की सड़कों और आस-पास के इलाकों में सड़कों पर उतर आए. उन्होंने जलते हुए टायरों और पेड़ों के तनों से राज्यमार्गों को जाम भी कर दिया. अधिकारियों ने प्रभावित सड़कों पर यातायात बंद कर किया.
आतंकी घटना की पूरे देश में निंदा की गई. प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि हमलावरों को बक्शा नहीं जाएगा और पीड़ित परिवारों की मदद की जाएगी. शिया धार्मिक नेता नासिर अब्बास ने कहा कि घटना के खिलाफ प्रदर्शन पूरे देश में आयोजित किए जाएंगे. दूसरे समुदायों के नेताओं ने भी हत्याओं पर दुख प्रकट किया है.
पाकिस्तान के हजारा समुदाय को इस्लामिक स्टेट जैसे सुन्नी आतंकी संगठन कई बार निशाना बना चुके हैं. आईएस ने पड़ोसी देश अफगानिस्तान में भी अल्पसंख्यक शियाओं के खिलाफ जंग छेड़ी हुई है और 2014 में वहां सक्रिय होने के बाद कई घातक हमलों की जिम्मेदारी ली है. क्वेट्टा में ही अप्रैल 2019 में एक खुले बाजार में एक आत्मघाती बम हमले में 20 लोग मारे गए थे. उस समय आईएस ने कहा था कि उसने शियाओं और पाकिस्तानी सेना के कुछ लोगों को निशाना बनाया था.
पिछले साल जनवरी में क्वेट्टा में ही एक मस्जिद में हुए शक्तिशाली विस्फोट की जिम्मेदारी भी आईएस ने ही ली थी. विस्फोट में एक वरिष्ठ पुलिस अफसर और 13 अन्य लोग मारे गए थे और 20 श्रद्धालु घायल हो गए थे. बलूचिस्तान में बलोच अलगाववादी समूहों द्वारा एक विद्रोह आंदोलन भी चलाया जा रहा है. वो भी गैर-बलोच श्रमिकों को निशाना बनाते हैं लेकिन उन्होंने अल्पसंख्यक शिया समुदाय के लोगों पर कभी हमला नहीं किया.
सीके/एए (एपी)
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