पाकिस्तानी पतियों की चीनी बीवियां गिरफ्तार
१६ मार्च २०१८गिलगित बल्तिस्तान पाकिस्तान का सबसे उत्तरी इलाका है जिसकी सीमा दक्षिण में पाकिस्तान और भारत प्रशासित कश्मीरी इलाकों से मिलती हैं. चीन के शिनचियांग प्रांत और पाकिस्तान के गिलगित बल्तिस्तान के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंध रहे हैं. दोनों क्षेत्रों के लोगों के बीच शादियां भी होती रहीं हैं. लेकिन आज इस इलाके के लोग बेहद परेशान हैं. क्योंकि पिछले कुछ महीनों में शिनचियांग प्रांत की कई ऐसी उइगुर महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है जिनके पति गिलगित बल्स्तिान के इलाके से आते हैं. चीन को संदेह है कि गिलगित बल्तिस्तान से तालुक्क रखने वाली इन महिलाओं का इस्लामी कट्टरवादी समूहों के साथ कोई संबंध हो सकता है.
उइगुर, चीन में रहने वाला एक जातीय अल्पसंख्यक समुदाय है जो चीन के मुकाबले स्वयं को मध्य एशियाई देशों के अधिक करीब पाता है. यह समुदाय तुर्क भाषा बोलता है. लंबे समय से यह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का जुल्म और अत्याचार सहते आ रहे हैं. इनमें से अधिकतर सुन्नी समुदाय से तालुक्क रखते हैं और चीन के कुल 55 जातीय अल्पसंख्यक समुदायों में से एक हैं. लेकिन अब इन उइगुर मुसलमानों पर देश की कम्युनिस्ट सरकार बहुत सख्त हो रही हैं. इनके धर्म, संसाधन, सांस्कृतिक पहचान, राजनीतिक अधिकार आदि सभी को दबाया जा रहा है.
पिछले कुछ सालों के दौरान चीन सरकार ने शिनचियांग के अलगाववादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. जिसने कई लोगों को आतंकी गतिविधियों और कट्टरवाद की ओर धकेला है. लेकिन यह स्थिति इसलिए भी उग्र होती जा रही है क्योंकि यह न ही एक जातीय संघर्ष है बल्कि इसके राजनीतिक और धार्मिक आयाम भी हैं.
उइगुर मसले को अब तक चीन की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी समस्या के रूप में देखा जाता रहा है. लेकिन कुछ विशेषज्ञ अब यह मानने लगे हैं कि इसे दुनिया में सिर उठाते इस्लामिक कट्टरवाद को ध्यान में रखते हुए भी देखा जाना चाहिए. विश्लेषक कहते हैं कि उइगुर मामले को अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे इलाकों में जिहादी समूह भुना रहे हैं. यहां के कुछ इलाकों में उइगुर तालिबान का साथ दे रहे हैं.
एक गंभीर मुद्दा
गिलगित बल्तिस्तान की प्रांतीय सरकार के प्रवक्ता फैज उल्लाह फिराक कहते हैं कि पाकिस्तान प्रशासन इस मुद्दे पर चीन के विदेश मंत्रालय से बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि स्थानीय लोग इस मुद्दे को लेकर परेशान हैं. उन्होंने बताया कि प्रांत की विधानसभा में इन गिरफ्तारियों के खिलाफ प्रस्ताव प्रारित किया गया है. विधानसभा के एक अन्य सदस्य नवाज नाजी ने भी इसे बेहद ही गंभीर मुद्दा कहा है.
नाजी ने डीडब्लयू से बातचीत में कहा, "न सिर्फ गिलगित बल्स्तिान के लोगों की बल्कि तमाम पश्तून और पंजाबी पाकिस्तानियों की बेगमें चीन से हैं. इसलिए चीन को इस मामले में सांस्कृतिन संवेदनशीलता का ख्याल रखना चाहिए." उन्होंने कहा हम मुस्लिम समुदाय से हैं और हमारे समाज में अपनी बीबी को किसी और की निगरानी में रखना हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है.
लोगों में गुस्सा
डीडब्ल्यू को मिली खबर मुताबिक, तमाम बातचीतों के बावजूद अब तक चीन में गिलगिल बल्तिस्तान से संबंध रखने वाली 39 उइगुर महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है. इन महिलाओं के पति अपनी पत्नी और परिवार की हिफाजत के चलते मीडिया से बात नहीं करना चाहते. एक व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, "उसकी पत्नी पर नजर रखी जा रही है. पिछले साल उसे दो बार पूछताछ के लिए बुलाया गया था."
एक व्यापारी ने बताया कि उसने अपनी पत्नी और बच्चों को दो साल से नहीं देखा है और उसका परिवार बुरी तरह डरा हुआ है. गिलगित शहर के मीर अमान ने बताया कि उनकी 60 साल की पत्नी को करीब छह महीने पहले शिनचियांग से गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने कहा, "मुझे उससे मिलने देना तो छोड़िए फोन पर बात करने तक की इजाजत नहीं है. प्रशासन ने मुझे अब तक नहीं बताया है कि मेरी पत्नी ने क्या अपराध किया है. पुलिस ने मेरी पत्नी को गिरफ्तार करने के एक महीने बाद मेरे 18 साल के बेटे को भी गिरफ्तार कर लिया."
इस प्रांत का एक अन्य व्यापारी शफाकत अली चीन सरकार से अपनी पत्नी को रिहा करने की अपील करते हैं. लेकिन स्थानीय लोगों में हिम्मत और उम्मीद अब भी बनी हुई है. इन लोगों ने डीडब्ल्यू से कहा कि अगर ये मामला दोनों देशों के बीच प्रशासनिक स्तर पर नहीं सुलझता तो वह अपने लोगों की रिहाई के लिए आंदोलन करेंगे, विरोध प्रदर्शन करेंगे.
रिपोर्ट: सत्तार खान