पाकिस्तानी सेना में अमेरिकी सैनिकः विकीलीक्स
२१ मई २०११विकीलीक्स की ओर से जारी दस्तावेजों में दावा किया गया है कि अमेरिका का विशेष सुरक्षा दस्ता पाकिस्तान की सेना के साथ मिलकर पाकिस्तान में ही काम कर रहा है. इसका मकसद खुफिया जानकारी जुटाना और साझा इंटेलीजेंस ऑपरेशन को अंजाम देना है. यह कवायद 2009 की गर्मियों में ही शुरू हो गई. पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद पाकिस्तानी सीमाओं में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी का मुद्दा फिर गर्मा रहा है.
खुफिया दस्तावेजों को लोक करने वाली वेबसाइट विकीलीक्स का यह दावा पाकिस्तान के उस रुख के उलट है जिसमें उसने कहा है कि तालिबान और अन्य चरमपंथियों के खिलाफ विदेशी सेना को अपनी धरती पर कार्रवाई नहीं करने देगा. मई 2009 में अमेरिकी राजदूत एनी पैटरसन ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय को एक केबल में लिखा कि पाकिस्तान सेना की विशेष टुकड़ियों में अमेरिकी सैनिक मिल गए हैं.
इसके जरिए पाकिस्तानी सैनिकों को चरमपंथियों के बारे में खुफिया जानकारी एकत्र करने में मदद दी जा रही है. पाकिस्तान के डॉन अखबार के मुताबिक कई केबल दिखाते हैं कि अमेरिका चाहता था कि पाकिस्तानी सैनिकों के साथ कार्रवाई में अमेरिकी सैनिक भी शामिल हो जाएं. सितंबर 2009 तक संयुक्त ऑपरेशन का दायरा बढ़ चुका था. "पाकिस्तान ने खुफिया जानकारी जुटाने, टोही गतिविधियों और निगरानी रखने में अमेरिकी मदद को स्वीकार कर लिया है. फ्रंटियर कार्प्स के मुख्यालय पर संयुक्त ऑपरेशन के लिए विशेष केंद्र बनाए गए हैं. सेना के मुख्यालय में भी इसके स्थापित होने की संभावना है." पाकिस्तान सेना के अधिकारियों की ओर से अभी इन केबलों पर कोई बयान सामने नहीं आया है.
एनी पैटरसन ने लिखा, "अब तक पाकिस्तान का सैन्य नेतृत्व अमेरिकी सैनिकों के पाक सेना के साथ मिलकर काम करने को तैयार नहीं था लेकिन सेना मुख्यालय से अनुमति मिल गई है जो उसकी नीति में जबरदस्त बदलाव माना जाना चाहिए. लेकिन ये साझा ऑपरेशन राजनीतिक रूप से संवेदनशील हैं. अगर पाकिस्तानी और अमेरिकी मीडिया में यह बात सामने आती है तो पाकिस्तान इस तरह की मदद मांगने से इंकार कर देगा."
पाकिस्तान में अमेरिकी सेना के होने की बात मानी जाती है लेकिन अभी तक उनका दायरा ट्रेनिंग देने तक ही सीमित बताया गया है. पाकिस्तान के कबायली इलाकों में अमेरिका ड्रोन विमानों से चरमपंथियों के ठिकानों को निशाना बनाता है. संप्रभुता के हनन को लेकर पाकिस्तान की जनता कई बार रोष जता चुकी है.
डॉन अखबार में ही कई केबल प्रकाशित हुए जिनके मुताबिक पाकिस्तान सेना ने अमेरिकी सेंट्रल कमांड से उत्तर वजीरिस्तान और दक्षिण वजीरिस्तान की निगरानी बढ़ाने और ड्रोन विमानों को हर समय तैयार रखने की गुजारिश की. हालांकि पाकिस्तान सेना ने इससे इनकार किया है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल