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पाबंदियों की वजह से कश्मीरी पत्रकार को विदेश जाने से रोका

देबारति गुहा
२ सितम्बर २०१९

भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के बाद से ही वहां भारत सरकार ने पाबंदियां लगाई हुई हैं. एक कश्मीरी पत्रकार को दिल्ली हवाई अड्डे पर देश से बाहर जाने से रोक दिया गया.

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Indien Kaschmir-Konflikt | Stacheldraht in Srinagar
तस्वीर: Reuters/A. Abidi

भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर को राज्य की जगह केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया है. इस परिवर्तन के बाद से ही शांति बहाली की बात कहकर कश्मीर में सभी प्रकार की संचार व्यवस्थाओं को बंद कर दिया गया है. इसके अलावा इस इलाके में भारी संख्या सुरक्षाबलों की तैनाती भी की गई है. संचार व्यवस्था को बंद करने में इंटरनेट और मोबाइल को पूरी तरह बंद कर दिया गया है. लैंडलाइन फोन की सुविधा अस्थाई रूप से चल रही है. इसी वजह से जम्मू कश्मीर में लोगों के पास तक सूचनाएं भी नहीं पहुंच पा रही हैं. हालांकि इन सब प्रतिबंधों के बावजूद कश्मीर में कई प्रदर्शनों की खबरें आई हैं.

कई लोग गिरफ्तार

कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपना हक जताते हैं. दोनों ही देशों का इसके कुछ इलाकों पर अधिकार है. जम्मू कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच में दो बड़े युद्ध हो चुके हैं. साथ में 1999 में हुई कारगिल घुसपैठ के दौरान भी दोनों देशों के बीच तनाव रहा था. हाल के दिनों में सरकार का कहना है कि प्रतिबंधों में कुछ ढील दी गई है और लैंडलाइन फोन की सुविधा कुछ जगहों पर चालू हुई है. 5 अगस्त को लागू किए गए इन बदलावों के बाद से ही कश्मीर के कई बड़े राजनेता जेलों में बंद हैं. जम्मू कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला, फारुख अबदुल्ला और महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किया गया है.

Gowhar Geelani
तस्वीर: Twitter/Gowhar Geelani

कश्मीरियों के देश से बाहर जाने पर रोक?

कश्मीरियों को देश से बाहर जाने से भी रोका जा रहा है. 31 अगस्त को दिल्ली एयरपोर्ट पर डीडब्ल्यू के एडिटर ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लेने जर्मनी आ रहे कश्मीरी पत्रकार और लेखक गौहर गिलानी को इमिग्रेशन अधिकारियों ने रोक दिया. गिलानी के मुताबिक,"चेक इन करने के बाद मुझे आधे घंटे तक इमिग्रेशन पर रोका गया. फिर मुझे हिरासत में ले लिया गया. कारण पूछने पर कोई वजह नहीं बताई. उन्होंने बस कहा कि आजकल कश्मीर में वैसे ही बहुत अशांति है. वो कह रहे थे कि हम तो बस ऊपर से आए आदेश का पालन कर रहे हैं. मैं एक लेखक और पत्रकार हूं. पिछले महीने कश्मीर पर मेरी किताब प्रकाशित हुई है. मुझे नहीं पता मैंने क्या गुनाह किया है." कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों ने लिखा कि गिलानी डीडब्ल्यू में एक एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. गिलानी पहले डीडब्ल्यू के साथ काम कर चुके हैं लेकिन फिलहाल काम नहीं कर रहे हैं. जर्मनी आने के बाद उनसे डीडब्ल्यू ज्वाइन करने की शर्तों पर बातचीत होती. फिलहाल डीडब्ल्यू का उनके साथ करार तय नहीं हुआ था.

गिलानी कश्मीर के मुद्दे पर भारत सरकार के प्रति आलोचनात्मक रुख अपनाते रहे हैं. गिलानी पहले ऐसे जाने माने कश्मीरी नहीं हैं जिन्हें इस तरह बाहर जाने से रोका गया हो. अगस्त में नौकरशाह से नेता बने शाह फैसल को भी दिल्ली हवाई अड्डे पर विदेश जाने से रोक लिया था. शाह फैसल भी कश्मीर के मुद्दे पर भारत सरकार के आलोचक रहे हैं और हाल में उठाए गए कदमों को "नरेंद्र मोदी द्वारा की गई लोकतंत्र की हत्या" करार दे चुके हैं.

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