पेगीडा: जर्मन समाज की उथल पुथल
जर्मनी में अक्टूबर 2014 से चले आ रहे पेगीडा के नियमित विरोध प्रदर्शन अब एक बड़े इस्लामीकरण विरोधी अभियान की पहचान बन गए हैं. लाखों शरणार्थी भी निशाने पर हैं. 'पेगीडा' के उभार से जुड़े हैं जर्मनी के कई सामाजिक मुद्दे.
5 जनवरी 2015 यानि नए साल के पहले ही सोमवार की शुरुआत जर्मनी के कई शहरों में विरोध प्रदर्शनों के साथ हुई. जर्मनी के कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे इस्लाम विरोधी प्रदर्शन दिखाते है कि बड़ी संख्या में आप्रवासियों के मुद्दे पर देश बंटा हुआ है. आप्रवासन का समर्थन करने वाले लोग अनेकता में एकता की भावना को बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय आयोग के गठन की मांग कर रहे हैं.
जर्मनी के पूर्व में स्थित ड्रेसडेन शहर में हर हफ्ते रैलियां निकाली जा रही हैं. 22 दिसंबर 2014 की रैली में तो 17 हजार से भी ज्यादा लोग शामिल हुए. पेगीडा रैलियों का विरोध करने वाले कई गुट हैं. दिसंबर में पेगीडा ने अपना घोषणापत्र जारी कर "आपराधिक किस्म के शरणार्थियों और आप्रवासियों को बिल्कुल बर्दाश्त ना किए जाने" की मांग की.
जर्मनी के पूर्व में स्थित ड्रेसडेन शहर में हर हफ्ते रैलियां निकाली जा रही हैं. 22 दिसंबर 2014 की रैली में तो 17 हजार से भी ज्यादा लोग शामिल हुए. पेगीडा रैलियों का विरोध करने वाले कई गुट हैं. दिसंबर में पेगीडा ने अपना घोषणापत्र जारी कर "आपराधिक किस्म के शरणार्थियों और आप्रवासियों को बिल्कुल बर्दाश्त ना किए जाने" की मांग की.
'पश्चिम के इस्लामीकरण के खिलाफ यूरोप के राष्ट्रवादी' यानि पेगीडा के समर्थकों का मानना है कि इस्लामीकरण से ईसाई धर्म की संस्कृति और परंपराओं को खतरा है. वहीं हाल ही में उभरा यूरोप विरोधी दल 'अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी' (एएफडी) खुद को जर्मन समाज के सच्चे प्रतिनिधियों के तौर पर पेश कर रहा है.
जर्मनी में आम लोगों के बीच इस मत को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है कि रिफ्यूजी आबादी की मदद करने में खर्च होने वाले धन के कारण जर्मन नागरिकों की पेंशन कम हो जाएगी और गरीबी फैलेगी.
हुम्बोल्ट यूनिवर्सिटी की सोशल साइंटिस्ट नाइका फोरुटान ने हाल ही के एक सर्वे का हवाला देते हुए बताया कि आधे से ज्यादा जर्मन अपने पड़ोस में मस्जिद बनाए जाने के खिलाफ हैं. वहीं 40 फीसदी का मानना है कि केवल जर्मन माता-पिता के बच्चों को ही जर्मन माना जाना चाहिए. वे बताती हैं कि जो लोग विदेशियों और प्रवासियों के बिल्कुल संपर्क में नहीं हैं वे उनका ज्यादा विरोध करते हैं.
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने नए साल के अपने संदेश में देश के नागरिकों से शरणार्थियों की मदद का आह्वान किया. उन्होंने जनता से शरणार्थियों और इस्लामीकरण का विरोध करने वाली पेगीडा रैलियों का विरोध करने की अपील की. केवल 2014 में ही जर्मनी में दो लाख से ज्यादा शरणार्थी अर्जियां आईं.