पोंटिंग: क्या हुआ तेरा वादा
७ दिसम्बर २०१०एडिलेड टेस्ट में इंग्लैंड की जीत का अंतर एक पारी और 71 रन रहा. एशेज शुरू होने से पहले कप्तान रिकी पोंटिंग ने दावा किया था कि जीतेंगे तो हम ही. साथ ही उन्होंने घरेलू दर्शकों से वादा भी किया था कि इत्मीनान रखिए, जीत ऑस्ट्रेलिया की ही होगी. लेकिन एडिलेड में जिस तरह से पंटर एंड कम्पनी की पराजय हुई है, उससे टीम का मनोबल गिर गया है. सीरीज में वापसी के लिए ऑस्ट्रेलिया को चमत्कारी प्रदर्शन करना होगा, क्योंकि इंग्लैंड की टीम जीत के बावजूद सर्तक है और वह जानती है कि उसका 'मिशन एशेज' तब तक अधूरा है, जब तक कि वह सीरीज अपने नाम न कर ले.
एलिस्टियर कुक ने एक बार फिर बताया कि टेस्ट क्रिकेट में किसी सलामी बल्लेबाज को किस मानसिकता से बल्लेबाजी करनी चाहिए. जिस धैर्य से कुक ने ओवर दर ओवर बल्लेबाजी की, उससे नवोदित बल्लेबाजों को सीखना चाहिए कि टेस्ट क्रिकेट के लिए कुक वाला टैम्प्रामेंट क्यों जरूरी है.
अब जिक्र करते हैं उस बल्लेबाज का जिसने मैच को पूरी तरह इंग्लैंड की तरफ मोड़ दिया. केविन पीटरसन ने भले ही मार्च 2009 के बाद टेस्ट शतक लगाया हो, लेकिन उनकी 227 रनों की पारी ने मानों इतने दिनों की सारी कसर पूरी कर दी. पीटरसन ने सभी ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की बराबर 'सेवा' की, लेकिन उनका 'लगाव' डग बोलिंगर, जेवियर डोहर्टी के प्रति ज्यादा दिखा. डोहर्टी ने 5.85 की औसत से रन लुटाए, जबकि बोलिंगर ने 4.48 की औसत से मार खाई. इन गेंदबाजों की इस दयनीय दशा के लिए पीटरसन ज्यादा जिम्मेदार रहे. पीटरसन ने डोहर्टी पर 101.66 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए, जबकि बोलिंगर को उन्होंने 85.29 की स्ट्राइक रेट से पीटा.
एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी पर नजर डालें तो पता चलता है कि कहीं कोई बड़ी खामी नहीं है.
साइमन कैटिच से बड़ी पारी की उम्मीद थी, लेकिन एडिलेड की दोनों पारियों में वे जिस तरह आउट हुए वह उनकी बदकिस्मती थी, न कि असफलता. शेन वॉटसन अपनी भूमिका से खुश हैं, लेकिन टीम प्रबंधन शायद उनसे अपने अर्धशतक को शतक में बदलने की उम्मीद रखता है. वॉटसन कई बार अर्धशतक बनाने के फौरन बाद आउट हो जाते हैं. पोंटिंग खुद बहुत अच्छी फॉर्म में नहीं हैं. एक तो कप्तानी की चारों तरफ हो रही आलोचनाएं, दूसरी दिक्कत यह कि बल्ला भी खामोश है. एडिलेड में करारी हार के बाद पोंटिंग का विश्वास हिल चुका है. आगे की राह भी कठिन है.
माइकल क्लार्क ने जरूर एडिलेड में दूसरी पारी में 80 रन बनाए, लेकिन ये उनकी आत्मसंतुष्टि के लिए ठीक है, लेकिन वे टीम को हार से नहीं बचा पाए. क्लार्क अब तक वर्तमान एशेज सीरीज में अपनी उपयोगिता साबित करने में असफल रहे हैं. क्लार्क की फॉर्म और फिटनेस देखकर अब उन चर्चाओं पर भी विराम लगता जा रहा है, जिनमें कहा जा रहा था कि वे ऑस्ट्रेलिया के अगले कप्तान..
'मिस्टर क्रिकेट' माइकल हसी ने जरूर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की कमान अपने हाथ में ले रखी है, लेकिन दूसरे छोर पर उनके साथी बल्लेबाज टिक नहीं पा रहे हैं. हसी की भूमिका दोनों टेस्ट मैचों में मैच बचाने वाली रही, जिसमें वह हर बार कामयाब नहीं हो सकते. उन्हें दूसरे छोर से साथ मिलेगा तब ही वह अपना 'बेस्ट' दे सकते हैं.
मार्कर्स नॉर्थ एक प्रतिभाशाली बल्लेबाज हैं, लेकिन उनकी प्रतिभा की झलक एडिलेड में नहीं दिखी और इंग्लैंड ने आसानी से ऑस्ट्रेलिया पर काबू पा लिया. नॉर्थ को कई प्रतिभावान ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों पर तरजीह देकर टीम में शामिल किया गया है, लेकिन अब उनकी नाकामी के बाद क्या टीम प्रबंधन अन्य विकल्पों पर विचार करेगा?
एडिलेड में अगर ऑस्ट्रेलिया की किरकिरी हुई है तो उसकी बड़ी वजह उसकी गेंदबाजी है. मिशेल जॉनसन को खराब फॉर्म के कारण एडिलेड टेस्ट से बाहर रखा गया. साथ ही बेन हालफिनहास को बाहर बैठाकर डग बोलिंगर और रियान हैरिस को टीम में जगह दी गई, लेकिन ये दो गेंदबाज भी ऑस्ट्रेलिया का मुकद्दर नहीं बदल पाए.
एशेज सीरीज शुरू होने से पहले स्पिन गेंदबाज नाथन हारिर्ट्ज के स्थान पर जेवियर डोहर्टी को टीम में शामिल किया गया, लेकिन वे अब तक नाकाम रहे हैं. तो अब हारिर्ट्ज की वापसी होगी?
ब्रिसबेन टेस्ट में पीटर सिडल की हैट्रिक को छोड़ दिया जाए तो ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज इस एशेज में नाकाम रहे हैं और इस बात का इससे बड़ा सबूत क्या होगा कि एडिलेड के जिस विकेट पर ऑस्ट्रेलिया टीम दो बार पैवेलियन लौट गई, वहीं इंग्लैंड ने केवल 5 विकेट पर 620 रनों का विशाल स्कोर बनाया.
इयान चैपल ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी पर चिंता जाहिर की थी और कहा था कि ऑस्ट्रेलिया के पास ग्लेन मैग्राथ और ब्रेट ली की तरह कोई लीडर गेंदबाज नहीं है. चैपल का विचार सही है, लेकिन अब रातों रात गेंदबाजी लीडर कहां से लाएं. फिलहाल तो कोई बल्लेबाजी लीडर भी दिखाई नहीं देता.
बहरहाल, पोंटिंग के जीत और अच्छे प्रदर्शन के सभी वादे झूठे साबित होते दिखाई दे रहे हैं. एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया एशेज सिरीज में पिछड़ चुकी है और पोंटिंग के सामने बड़ी चुनौती यह है कि 16 दिसंबर से शुरू हो रहे पर्थ टेस्ट में टीम कॉम्बिनेशन क्या हो.
रिपोर्टः शराफत खान (सौजन्यः वेबदुनिया)
संपादनः ए कुमार