पोलैंड छोड़ कर जर्मनी आ रहे हैं यूक्रेनी शरणार्थी
१२ सितम्बर २०२३मंगलवार को छपी एक रिसर्च रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है. हालांकि यूक्रेनी शरणार्थी काम करने यूरोपीय देशों में नहीं आए हैं लेकिन बड़ी संख्या में वो यहां के काम कर रहे हैं. यूक्रेन युद्धके डेढ़ साल बीत गए हैं और इसके तुरंत रुकने के भी कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. यूक्रेनी शरणार्थी जहां भी रुकेंगे वहां के श्रम बाजार पर इसका असर होगा. यूरोपीय देशों को काम के लिए लोगों की तलाश है और ऐसे में यूक्रेन के शरणार्थी अच्छा विकल्प बन रहे हैं. ज्यादातर यूरोपीय देशों में गिरती जन्मदर के कारण आबादी या तो घट रही है या फिर बढ़ नहीं रही और ऐसे में उन्हें काम के लिए लोग नहीं मिल रहे हैं.
वारसॉ यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर ईस्ट यूरोपीयन स्टडीज और रोजगार एजेंसी ईडब्ल्यूएल ने यह रिसर्च किया है. ईडब्ल्यूएल की निदेशक मिशालिना सिलेविच का कहना है कि यूक्रेनी लोगों के लिए पहली पसंद अब पोलैंड नहीं है. सिलेविच ने कहा, "हमें इससे चिंतित होना चाहिए."
पोलैंड से निकल कर जर्मनी
यह रिसर्च पोलैंड में यूक्रेनी लोगों की घटती संख्या का कारण समझने के लिए किया गया था. 24 फरवरी 2022 को जब रूस ने यूक्रेन पर धावा बोला तो यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए पहला ठिकाना पोलैंड बना. युद्ध के शुरुआती कुछ महीनों में किसी भी दूसरे देश की तुलना में सबसे ज्यादा शरणार्थी पोलैंड आ कर रहे.
नीदरलैंडः यूक्रेन के शरणार्थी जो अब अधर में लटके हुए हैं
अब यह स्थिति बदल गई है. यूरोपीय संघ के आंकड़ों के मुताबिक जर्मनी में जून के आखिर तक 11 लाख यूक्रेनी शरणार्थियों की संख्या दर्ज हुई. इसकी तुलना में पोलैंड में यह संख्या 9,75,000 थी. अगस्त 2022 के बाद पोलैंड की संख्या में करीब 3,50,000 की कमी आई है. दूसरी तरफ जर्मनी में यह संख्या 4,10,000 बढ़ गई. इस रिपोर्ट के मुताबिक जिन 3,50,000 लोगों ने पोलैंड को छोड़ा उनमें से 1,50,000 लोग जर्मनी गए.
जर्मनी की सुविधाएं
इस रिसर्च में पता चला है कि जर्मनी में यूक्रेनी लोगों को नेटवर्क विकसित हो रहा है और यह प्रवासियों के वहां जाने में एक बड़ा कारण बन रहा है. जिन लोगों के दोस्त, परिजन या फिर जानने वाले जर्मनी में हैं वो और लोगों के यहां आने का कारण बन रहे हैं. इस रिसर्च में जिन यूक्रेनी लोगों से बात की गई है उन्होंने कुछ और कारण भी गिनाए हैं. जर्मनी में ऊंची मजदूरी, शरणार्थियों के लिए बेहतर सामाजिक सुरक्षा और बढ़िया चिकित्सा सुविधाओं की बात उन्होंने की है.
रिफ्यूजियों में भेदभाव करता यूरोप
रिसर्च में यह भी बताया गया है कि जर्मन भाषा की पढ़ाई जो सरकार शरणार्थियों के लिए मुहैया करा रही है, वह भी एक बड़ा कारण है. यह यूक्रेनी लोगों के लिए समाज में घुलने मिलने के साथ ही नौकरी पाने में मददगार साबित हो रहा है. पोलैंड में शरणार्थियों के लिए भाषा की पढ़ाई मुफ्त नहीं है.
रिसर्च के लिए 400 ऐसे यूक्रेनी शरणार्थियों से बात की गई जो पहले तो भाग कर पोलैंड गए थे लेकिन बाद में जर्मनी चले आए. सेंट फॉर ईस्ट यूरोपीयन स्टडीज के निदेशक जान मलिकी का कहना है कि 400 की संख्या नतीजे निकालने के लिए पर्याप्त बड़ी संख्या है. हालांकि उन्होंने सावधान भी किया कि उन लोगों की संख्या के बारे में जानकारी नहीं है जो युद्ध के बाद यूक्रेन लौटना चाहते हैं. यह यूक्रेन में होने वाले नुकसान और वापस आने पर उन्हें मिलने वाली सुविधाओं से शायद तय होगा.
एनआर/ओएसजे (एपी)