फ्रांस में बुर्के पर बैन का बिल पास
१४ जुलाई २०१०वहां से पास होने के बाद इसे संवैधानिक काउंसिल की मंजूरी हासिल करनी होगी, जो फ्रांस की सबसे बड़ी कानूनी संस्था है. मंगलवार को निचले सदन में यह बिल एक के मुकाबले 336 वोटों से पास हुआ. हालांकि फ्रांस के मुख्य विपक्षी दल सोशलिस्ट पार्टी ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. इस बिल में सार्वजनिक जगहों पर बुर्का पहनने पर 150 यूरो यानी आठ हजार रुपये से ज्यादा का जुर्माना देना होगा.
इतना ही नहीं, अगर कोई माता पिता अपने बच्चों पर बुर्का पहनने का दबाव डालते हैं तो उन पर 30 हजार यूरो यानी करीब 18 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और उन्हें एक साल की कैद भी हो सकती है.
बिल के पास होने के साथ ही फ्रांस बुर्के पर पाबंदी लगाने की तरफ कदम बढ़ाने वाला दूसरा यूरोपीय मुल्क बन गया है. इससे पहले बेल्जियम ऐसी ही पहल कर चुका है. अप्रैल में वहां की संसद के निचले सदन ने बुर्के पर पूरी तरह पाबंदी लगाने के पक्ष में मतदान किया था.
बुर्के को लेकर यूरोप में लोगों का रुख कड़ा होता जा रहा है. इसी तरह के प्रस्ताव स्पेन और इटली के कुछ स्थानीय निकायों में भी लाए गए हैं. लेकिन फ्रांस में बुर्के के बैन को लेकर चल रही मुहिम सबसे अहम है. यूरोप में सबसे ज्यादा मुसलमान फ्रांस में रहते हैं.
यहां जो लोग बुर्के को बैन करने के हक में हैं उनका मानना है कि यह फ्रांस की संस्कृति के खिलाफ है. पिछले हफ्ते फ्रांस के न्याय मंत्री मिशेल ऐलिओ-मेरी ने कहा था कि बुर्के पर बैन को अपनाकर मुसलमानों को आसानी से देश की जीवनशैली का हिस्सा बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि साथ रहने की इच्छा ही फ्रांस के बनने का आधार है और बुर्का लोगों को एक दूसरे से काटता है.
हालांकि इस कानून की आलोचना करने वालों की भी कमी नहीं है. उनका कहना है कि फ्रांस में तो यह कोई समस्या ही नहीं है क्योंकि यहां के 50-60 लाख मुसलमानों में से सिर्फ 1,900 महिलाएं बुर्का पहनती हैं. उनका कहना है कि यह इमिग्रेशन विरोधी वोटरों को लुभाने की और आर्थिक मुद्दों पर से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश है.
आलोचकों की बात को एक तथ्य का साथ भी मिलता है. यहां रहने वाले ज्यादातर मुसलमान उत्तरी और पश्चिमी अफ्रीका के उन देशों से आए हैं, जो कभी फ्रांस के उपनिवेश हुआ करते थे. इन देशों में तो बुर्के का चलन ही बहुत कम है. अरब देशों या पाकिस्तान में बुर्का बहुत ज्यादा पहना जाता है, लेकिन अफ्रीकी इस्लामिक देशों में ऐसा नहीं है.
फ्रांस की सरकार को सलाह देने वाली काउंसिल ऑफ मुसलिम फेथ के अध्यक्ष मोहम्मद मोसावी कहते हैं कि महिलाओं के बीच बुर्के का चलन कम करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए, लेकिन कानून बनाना तो एक खास समूह के लोगों को परेशान करने वाली बात होगी.
पूरी यूरोपीय जनता की राय को देखा जाए तो नतीजे कुछ अलग सामने आते हैं. इसी साल अप्रैल और मई में वॉशिंगटन के प्यू रिसर्च सेंटर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सर्वे कराया था. इस सर्वे में फ्रांस की 80 फीसदी जनता ने बुर्के पर बैन के पक्ष में मतदान किया था. जर्मनी ने 71 फीसदी, ब्रिटेन में 62 फीसदी और स्पेन में 59 फीसदी लोग बुर्के पर बैन लगाने की बात से सहमत थे. इसके उलट अमेरिका में दो तिहाई से ज्यादा लोगों ने बुर्के पर बैन का विरोध किया था.
रिपोर्ट: एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एस गौड़