बच्ची की मौत ने आधार कार्ड पर छेड़ी बहस
१९ अक्टूबर २०१७कार्यकर्ताओं के मुताबिक पिछले महीने, 11 साल की संतोषी कुमारी के परिवार को राशन कार्ड पर सिर्फ इसलिये अनाज नहीं दिया गया क्योंकि उनका राशनकार्ड, आधार कार्ड से लिंक नहीं था. एडवोकेसी समूह राइट टू फूड कैंपेन के धीरज कुमार के मुताबिक, "लड़की के परिवार वालों ने बताया कि उन्होंने पिछले छह दिनों से खाना नहीं खाया है. यहां तक कि जब उन्होंने स्थानीय अधिकारियों से राशन कार्ड की इस गड़बड़ी का जिक्र किया तो किसी ने उनकी मदद नहीं की."
स्थानीय अधिकारी इससे इनकार कर रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक लड़की की मौत भूख के चलते नहीं, बल्कि मलेरिया की वजह से हुई है. हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री ने मामले पर जांच के आदेश दे दिये हैं. झारखंड के राज्य कल्याण मंत्री सरयू रॉय ने कहा, "बच्ची की मौत के कारण पर संशय बना हुआ है, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी जगह राशन कार्ड को सिर्फ इसलिये रद्द नहीं किया जाये क्योंकि वह आधार से लिंक नहीं है." कार्यकर्ताओं का कहना है कि सिस्टम की गड़बड़ियों के चलते बड़ी संख्या में गरीबों को सामाजिक कल्याण से जुड़ी नीतियों का लाभ नहीं मिल रहा है.
साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने साल 2017 से आधार को पेंशन, रोजगार और कल्याणकारी योजनाओं के लिए अनिवार्य कर दिया है. कुमार के मुताबिक, "सरकार के इस फैसले को ये गरीब लोग भुगत रहे हैं, क्योंकि इन्हें तकनीक के बारे में कुछ नहीं पता." उन्होंने कहा कि इन लोगों के कार्ड को सही ढंग से आधार के साथ लिंक नहीं किया गया है जिसके चलते मुश्किलें पैदा हो रहीं हैं. कुमार के मुताबिक, राज्यों पर भी आधार को सभी राशन कार्डों और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के साथ जो़ड़ने का दबाव है. उन्होंने बताया, "अप्रैल में राज्य को मिले एक आदेश के बाद अब तक झारखंड में तकरीबन 10 लाख राशन कार्ड कैंसिल किये जा चुके हैं." पिछले साल महाराष्ट्र में कल्याणकारी योजनाओं के फंडों में कटौती की गयी थी, इसके बाद यहां भी भूख के चलते 600 बच्चों की मौत हो गयी थी.
एए/आईबी (रॉयटर्स)