ड्रोन तकनीक से होगी खेती, क्या बढ़ेगी किसानों की आय
२ फ़रवरी २०२२वित्त मंत्री ने साल 22-23 के लिए पेश बजट में जीरो बजट खेती, प्राकृतिक खेती, आधुनिक कृषि, मूल्य संवर्धन और प्रबंधन पर जोर दिया. देश के किसानों को एक ओर जहां मूलभूत सुविधाओं के लिए धक्के खाने पड़ते हैं वहीं बजट में किसानों को हाई टेक बनाने की बात कही गई. इस बार के बजट में ड्रोन किसान की घोषणा की गई. ऐसे समय में जब किसान खेती के समय फर्टिलाइजर, पानी और बिजली की कमी जैसी समस्याओं से दो चार होते हैं तो क्या किसान ड्रोन उनकी खेती को आसान बना पाएगा. हालांकि दुनियाभर के विकसित देशों में खेती के लिए मॉडर्न तकनीक का इस्तेमाल होता है लेकिन भारत में यह ड्रोन तकनीक कितना कारगार साबित होगा इस पर विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं. उनका सवाल है कि क्या इससे किसानो की आय बढ़ेगी?
कृषि क्षेत्र के जानकारों का सवाल है कि क्या किसान ड्रोन तकनीक समय की सबसे जरूरी मांग है. मजदूर किसान शक्ति संगठन ने मीडिया से कहा, "इस क्षेत्र में बड़ी समस्याएं हैं जिन पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है." वरिष्ठ पत्रकार और रुरल वायस के किसान के प्रधान संपादक हरवीर सिंह ने डीडब्ल्यू से कहा कि ड्रोन का इस्तेमाल फसलों के नुकसान के आकलन के लिए बीमा कंपनियां कर सकती हैं और किसान भी कीटनाशकों के छिड़काव के इस्तेमाल के लिए कर सकते हैं. लेकिन वे यह भी पूछते हैं कि आखिर आम किसान ड्रोन तक कैसे पहुंच बनाएगा और हजारों रुपये के ड्रोन पर क्यों निवेश करेगा.
वहीं दूसरी ओर सरकार ने 2022 में किसानों की आय दोगुनी का करना का ऐलान किया था लेकिन वित्त मंत्री ने इस बजट भाषण में इसका जिक्र तक नहीं किया और यह भी नहीं बताया कि यह लक्ष्य से कितना दूर. इस बारे में हरवीर सिंह का कहना है कि सरकार के लिए किसानों की आय दोगुनी करना असंभव सा है. वे कहते हैं, "सरकार इस पर बात नहीं करना चाहती है और मुद्दे से बचना चाहती है. सिर्फ कृषि से किसानो की आय बढ़ाना या दोगुनी करना असंभव काम है." उनका कहना है कि सरकार ने एक लोकलुभावन ऐलान किया था.
किसान ड्रोन क्या करेगा
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें डिजिटल और उच्च प्रौद्योगिकी सेवाओं से जोड़ा जाएगा. कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों के छिड़काव और बुआई के लिए ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके साथ ही फसलों के मूल्यांकन और कृषि भूमि के डिजिटलीकरण के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा. सरकार ने हाल ही में कृषि क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिड्यूर की घोषणा की है.
केमिकल मुक्त खेती की ओर
इसके अलावा प्राकृतिक खेती को भी बजट में बढ़ावा देने की बात की गई है. वित्त मंत्री ने कहा कि देश भर में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा जिसके तहत पहले चरण में गंगा नदी के किनारे पांच किलोमीटर चौड़े कॉरिडोर में स्थित किसानों की जमीन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
वैसे बजट प्रावधानों के अनुसार इस साल में सरकार एक करोड़ 63 लाख किसानों से 1208 टन गेहूं और धान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की दरों पर खरीदेगी. इसके लिए सरकार ने 2.37 लाख करोड़ रुपये का इंतजाम किया है.
वित्त मंत्री ने जो भी ऐलान किया हो लेकिन कृषि बजट में ना के बराबर आवंटन वृ्द्धि की है. तीन कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसानों की नाराजगी सरकार के प्रति खत्म नहीं हुई और वे सरकार से अपने वादों को पूरा करने की मांग करते आए हैं.