बदलते मौसम की मार झेलता सोलोमन द्वीप
सोलोमन द्वीप के लौ लैगून हिस्से में रहने वाले लोगों का समुद्र के साथ रिश्ता कई पीढ़ियों से चला आ रहा है. लेकिन अब जलवायु परिवर्तन और समुद्र के बढ़ते जल स्तर ने इनकी जिंदगी और अस्तित्व पर सवाल उठा दिये हैं
पानी पर जिंदगी
उच्च ज्वार में लौ लैगून द्वीप पर पहले शायद ही कभी जलस्तर ऊपर उठता था लेकिन अब यहां अति उच्च ज्वार और तेज तूफानों का आना आम बात हो गयी है. नतीजन, अब तक प्रकृति की गोद में रहने वाले इस द्वीप का कुछ हिस्सा समुद्र में डूबने लगा है.
समुद्र से जुड़े लोग
स्थानीय कहानियों के मुताबिक "वाने ई ऐसी" या समुद्री लोग इस कृत्रिम द्वीप में 18 पीढ़ियों से रह रहे हैं. ये लोग कहते हैं कि उन्हें समुद्र के करीब अपनापन महसूस होता है और यह समंदर उन्हें मछलियां देता है. साथ ही उन्हें मच्छरों से भी राहत रहती है.
बढ़ता जलस्तर
अब जब यहां समुद्री जलस्तर बढ़ रहा है तो लोगों के पास पानी से ऊपर बने इन घरों को और ऊंचा करने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है.
बच्चों का जीवन
अपने बचपन को इस समुद्र के निकट बिताते यहां के बच्चों के लिए ये पानी जीवन का अहम हिस्सा है. अपने स्कूल जाने के लिए ये बच्चे समुद्री रास्ता पार कर जाते हैं.
जन्म से नाविक
लोग द्वीप से तट तक का रास्ता बनाना, उसे पार करना आसानी से सीख जाते हैं और जल्द ही पानी के ऊपर बने अपने घरों से तट की ओर-जाना इनकी आदत में शुमार हो जाता है.
बदलाव के संकेत
यहां रहने वाले 52 साल के जॉन काईया इस द्वीप पर रहने वाली आइनाबाउलो जनजाति के मुखिया है. जॉन कहते हैं कि उन्होंने अपने जिंदगी में पहली बार मौसम में ऐसे बदलाव देखें हैं.
तूफानी मौसम
लैगून पर रहने का मतलब है उष्णकटिबंधीय तूफानों को झेलना. ये तूफान पारंपरिक रूप से गर्मी के मौसम में आते थे लेकिन अब लौ लैगून पर मौसम अप्रत्याक्षित रूप से बदल रहा है.
बहते आशियाने
बढ़ते जल स्तर और आये दिने आने वाले तूफानों ने यहां रहने वाले लोगों के घरों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. इसलिए अब लोगों ने घरों की मरम्मत के काम ही रोक दिया है.
समय के साथ जंग
बढ़ते जल स्तर के बीच लंबे समय तक यहां रहना एक चुनौती है. लेकिन लोग अब भी गुजर बसर कर रहे हैं लेकिन आउटहाउस को बांधने वाले पुल का नियमित रख-रखाव किया जा रहा है.
पंछियों का अड्डा
तस्वीर में नजर आ रहा यह आउटहाउस पहले किसी घर का हिस्सा था जो आज यहां से गुजरने वाले पंछियों का अड्डा बन गया है. जलवायु परिवर्तन ने इसे लोगों से बेहद ही दूर कर दिया है
नये पड़ोसी
लौ लैगून के लोग अब पड़ोस के द्वीप को समुद्र से बांधने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन इन्हें काफी विवादों का सामना करना पड़ रहा है. भूमि विवाद का मतलब है निर्माण काम पर अदालती आदेश के बाद रोक.
नई शुरूआत
कुछ वाने ई लोग अब भी सुरक्षित जगह के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कुछ नए कृत्रिम द्वीप बनाने की कोशिशों में हैं लेकिन अब भी इनके लिए काफी काम किया जाना बाकी है.
विश्वास बरकरार
सोलोमन के इस द्वीप पर धर्म को बहुत अधिक तवज्जो मिलती है. बदलती परिस्थितियों में यहां के लोगों को भरोसा है कि इनकी जिदंगी को बचाने और इन्हें दूसरी जगह बसाने में चर्च जरूर मदद करेगा.
अलविदा, अलविदा
प्रकृति के साथ तालमेल बिठा कर रहने वाले इन लोगों की जिदंगी को बढ़ते औद्योगिकीकरण के इस दौर में खतरा है, संभवत: भविष्य में यह द्वीप अपना अस्तित्व न बचा पाये और इसके साथ ही एक संस्कृति का भी अंत हो जाये.