बदली बदली ममता सरकार
४ अगस्त २०१२भारी भरकम निवेश
टाटा संस के अगले प्रमुख साइरस पी मिस्त्री के बड़े भाई शपूर मिस्त्री ने कोलकाता में ममता बनर्जी से मुलाकात कर 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश का प्रस्ताव दिया है. मिस्त्री उस शपूरजी पालनजी समूह के प्रमुख हैं जसकी टाटा संस में 18 फीसदी हिस्सेदारी है. रतन टाटा इस साल के आखिर में रिटायर हो जाएंगे. सिंगुर के मुद्दे पर टाटा और ममता के बीच छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ है. मुख्यमंत्री के साथ घंटे भर से लंबी मुलाकात के दौरान मिस्त्री ने राज्य के आधारभूत क्षेत्र में निवेश के अलावा सड़कों,, गहरे समुद्री बंदरगाह और पनबिजली संयंत्रों के निर्माण में दिलचस्पी दिखाई. समूह की कमान संभालने के बाद मिस्त्री पहली बार यहां आए. वैसे चार साल पहले सिंगुर से टाटा के कारोबार समेटने के बाद उस समूह से जुड़ी किसी कंपनी प्रमुख का यह पहला बंगाल दौरा रहा और वह भी भारी भरकम निवेश प्रस्तावों के साथ. वैसे, शपूरजी समूह ने राज्य में लगभग 1000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. लेकिन वह रियल इस्टेट के क्षेत्र तक ही सीमित है.
सिंगुर पर समझौता
मिस्त्री के इस दौरे ने सिंगुर मुद्दे पर टाटा समूह और राज्य सरकार के बीच अदालत से बाहर समझौते के कयासों को बल दिया है. सिंगुर की जमीन के मालिकाना हक के मुद्दे पर सरकार और टाटा समूह के बीच कानूनी लड़ाई चल रही है. यहां से लौटने के बाद आप अपने भाई (टाटा संस के अगले प्रमुख) को क्या संदेश देंगे? इस सवाल पर मिस्त्री ने चुप्पी ही साधे रखी. लेकिन राजनीतिक और औद्योगिक हलकों में चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि बदले हालात में अब ममता बनर्जी और टाटा समूह के बीच का आंकड़ा छत्तीस से तिरसठ में बदल सकता है.
वैसे, सरकारी अधिकारी इसे महज एक अफवाह करार देते हैं. उनकी दलील है कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुकी है. ध्यान रहे कि सिंगुर की जमीन को कब्जे में लेने के लिए ममता बनर्जी सरकार ने जो नया कानून बनाया था उसे कलकत्ता हाई कोर्ट असंवैधानिक करार दे चुका है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी है.
पश्चिम बंगाल के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी कहते हैं, "शपूर पालनजी समूह का निवेश का यह प्रस्ताव लागू होने पर बंगाल की तस्वीर बदल जाएगी. यह महज संयोग है कि इस समूह के प्रमुख शपूर मिस्त्री टाटा संस के अगले प्रमुख के भाई हैं." चटर्जी का दावा है कि इस निवेश का सिंगुर मामले से कोई लेना देना नहीं है. लेकिन राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यह प्रस्ताव दरअसल इस हाथ ले उस हाथ दे की रणनीति के तहत आया है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि राजनीति में संयोग जैसी कुछ चीज नहीं होती. हर फैसले का रणनीतिक आधार होता है.
मारुति को न्योता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लगता है गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से सबक सीखा है. जिस तरह सिंगुर में हिंसा के बाद टाटा समूह कारोबार समेटने का मन बना रहा था तब मोदी ने मौका भांपते हुए उसे गुजरात में नैनो परियोजना लगाने के लिए सरकारी सुविधाओं का मुंह खोल दिया, उसी तर्ज पर अब हरियाणा के मानेसर संयंत्र में हिंसा के बाद राज्य सरकार ने भी कंपनी को बाकायदा पत्र लिख कर उसे बंगाल में प्लांट लगाने का न्योता दे दिया है.
उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने कंपनी के अध्यक्ष आरसी भार्गव को पत्र लिख कर कहा है कि आप बंगाल में संयंत्र लगाएं, यहां जमीन की कोई समस्या नहीं है. सिंगुर मुद्दे से बिगड़ी छवि को दुरुस्त करने की कवायद के भेजे गए इस न्योते के बारे में मंत्री कहते हैं, "मारुति की ओर से प्रस्ताव मिलने के बाद हम उसे जमीन दे देंगे. बंगाल में जमीन की कोई समस्या नहीं है."
इस बीच, इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति ने भी उम्मीद जताई है कि कंपनी का कोलकाता केंद्र जल्दी ही शुरू हो जाएगा. सरकार ने इसके लिए 50 एकड़ जमीन आवंटित की है. लेकिन कंपनी सेज (विशेष आर्थिक क्षेत्र) का दर्जा चाहती है, जबकि सरकार इसके खिलाफ है. इसी मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है. लेकिन नारायणमूर्ति को भरोसा है कि यह समस्या शीघ्र सुलझ जाएगी.
रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः ए जमाल