बलात्कार कांड की बंद कमरे में सुनवाई
७ जनवरी २०१३समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने खबर दी है कि दिल्ली पुलिस की नीली रंग की गाड़ी से पांच आरोपियों को साकेत की अदालत में उतारा गया. तिहाड़ जेल से यहां लाने के बाद उन्हें मेटल डिटेक्टर से होकर गुजारा गया. यह अदालत साकेत के उस सिनेमाघर के लगभग सामने है, जहां से 16 दिसंबर को फिल्म देखने के बाद लड़की घर के लिए निकली थी और बाद में एक बस में उसके साथ बलात्कार किया गया. मामले का एक आरोपी नाबालिग है, लिहाजा उसकी पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है.
आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच आरोप सुनाए जाएंगे, जिसके बाद सुनवाई की तारीख तय की जाएगी. इस मामले की सुनवाई दिल्ली की फास्ट ट्रैक अदालत कर रही है. मजिस्ट्रेट नम्रिता अग्रवाल ने कहा कि मीडिया और सार्वजनिक लोगों की भीड़ को देखते हुए मामले की सुनवाई बंद कमरे में करने का फैसला किया गया है ताकि आरोपियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. उन्होंने कहा, "अदालत बुरी तरह से भर गया. इस हालत में इस अदालत के लिए मामले पर कार्यवाही करना असंभव हो गया."
आरोपी के वकील
इससे पहले एक वकील ने कहा कि वह आरोपियों के लिए मुकदमा लड़ना चाहता है. इसके बाद अदालत में हो हंगामा शुरू हो गया. साकेत के वकीलों ने पहले तय किया था कि कोई भी इस मामले के आरोपियों की तरफ से जिरह नहीं करेगा. दो आरोपियों ने शनिवार को वायदा माफ गवाह बनने की अर्जी दी है. सरकारी वकील राजीव मोहन के मुताबिक उन्होंने कहा है कि वे दूसरे आरोपियों के खिलाफ गवाही देने को तैयार हैं.
इन दोनों आरोपियों पर मुकदमे के बाकी चार आरोपियों के साथ अपहरण, बलात्कार और हत्या की धारा लगाई गई है. मोहन ने कहा कि वह इन सभी आरोपियों के लिए मौत की सजा मांगेंगे, "पांचों आरोपी मौत से कम सजा के हकदार नहीं हैं."
पक्के सबूत
पुलिस ने इस मामले में गहन तफ्तीश की है और उसका दावा है कि उसके पास पक्के सबूत जमा हो चुके हैं. पांचों आरोपियों के पास अब भी कोई वकील नहीं है. हालांकि भारतीय कानून व्यवस्था के मुताबिक उन्हें वकील मिलना चाहिए.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के वकील मनोहर लाल शर्मा ने आरोपियों के लिए जिरह करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन उन्हें दूसरे वकीलों से जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा. शर्मा का कहना है, "मुझे डर है कि उन्हें इंसाफ नहीं मिलेगा इसलिए मैंने उनके लिए मुकदमा लड़ने का फैसला किया." हालांकि उन्होंने कहा कि इस मामले में अदालत को ही आखिरी फैसला करना है.
फास्ट ट्रैक
भारत के मुख्य न्यायाधीश अलतमस कबीर ने देश में छह फास्ट ट्रैक अदालत शुरू करने का एलान किया, जिनमें महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले चल सकेंगे. हालांकि भारत के कानून जानकारों का कहना है कि पहले भी इस तरह की कोशिशें की गईं लेकिन उससे इंसाफ पर असर पड़ा है. सुनवाई शुरू होने से पहले दिल्ली बलात्कार कांड के आरोपियों को भी अदालत वकील मुहैया कराएगी.
ब्रिटेन के एक अखबार ने रविवार को इस पीड़ित लड़की की पहचान उजागर कर दी, हालांकि भारतीय मीडिया और समाचार एजेंसियों ने इसके बाद भी ऐसा न करने का फैसला किया है. भारत में कानूनी तौर पर बलात्कार पीड़ितों की पहचान नहीं बताई जा सकती है.
एजेए/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)