पद छोड़ेंगे जापान के प्रधानमंत्री
३ सितम्बर २०२१सुगा ने पिछले साल सितंबर में ही प्रधानमंत्री पद संभाला था, जब पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था. सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के अधिकारियों ने बताया कि सुगा पार्टी अध्यक्ष का अपना कार्यकाल पूरा करेंगे, जिसका मतलब है कि वो पार्टी के आंतरिक चुनावों के होने तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे.
पार्टी के चुनाव 29 सितंबर को होने हैं. देश में आम चुनाव भी इसी साल होने हैं और ऐसे में देश में कोविड-19 महामारी के भारी प्रकोप के बीच सुगा की समर्थन रेटिंग 30 प्रतिशत से नीचे गिर गई हैं. सुगा के पार्टी चुनाव ना लड़ने की खबर बाहर आने के बाद जापान में निक्की सूचकांक में दो प्रतिशत की उछाल आई.
चौंकाने वाला फैसला
जापान की संसद के निचले सदन में एलडीपी को बहुमत प्राप्त है. इस वजह से पार्टी के चुनावों में जो भी जीतेगा उसका प्रधानमंत्री बनना तय है. सरकार 17 अक्टूबर को आम चुनाव आयोजित कराने के बारे में विचार कर रही है. सुगा के फैसले पर एलडीपी के महासचिव तोशिहीरो निकाई ने कहा, "सच बताऊं तो मैं आश्चर्यचकित हूं." निकाई ने पहले ही पार्टी चुनावों में सुगा को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी.
उन्होंने बताया कि सुगा अपने मंत्रिमंडल और पार्टी के अधिकारियों में भी फेरबदल करने की योजना बना रहे थे, लेकिन वो योजनाएं अब तो बेकार हैं. पूर्व में विदेश मंत्री रह चुके फूमियो किशिदा पार्टी के नेता के पद के चुनाव में खड़े होने वाले हैं. दो सितंबर को किशिदा ने सुगा के महामारी प्रबंधन की आलोचना की और कहा कि अब महामारी के असर का मुकाबला करने के लिए एक स्टिमुलस पैकेज की जरूरत है.
सोफिया विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर कोइची नकानो का कहना है, "इस समय तो किशिदा ही सबसे आगे चल रहे हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उनकी जीत सुनिश्चित हो चुकी है. नकानो ने बताया कि अगर लोकप्रिय प्रशासनिक सुधार मंत्री तारो कोनो को उनके गुट के नेता वित्त मंत्री तारो आसो का समर्थन मिल जाए तो वो भी पार्टी चुनाव में खड़े हो सकते हैं.
कई उम्मीदवार हैं
उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरु इशीबा भी खड़े हो सकते हैं लेकिन वो प्रतिकूल परिस्थिति में हैं. इस साल पार्टी चुनाव पिछले साल के मुकाबले अलग तरीके से होंगे. इस साल पार्टी के सांसदों के साथ साथ जमीनी कार्यकर्ता भी मतदान करेंगे, जिसकी वजह से कौन जीतेगा यह कहना मुश्किल हो गया है. संभव है कि कम अनुभवी सांसद अपनी सीटें गंवाने के डर से अपने बड़ों के आदेशों को ना मानें.
सुगा के फैसले को लेकर यूबीएस सुमि ट्रस्ट वेल्थ मैनेजमेंट के जापान में मुख्य अर्थशास्त्री डाइजु आओकी ने कहा, "यह आश्चर्यचकित कर देने वाला था, लेकिन इससे अनिश्चितता के मुकाबले ज्यादा निश्चितता और आगे की तरफ देखने की संभावनाएं मिलीं, क्योंकि बाजार को किशिदा की नीतियों के बारे में खबर हो गई थी."
पहले सुगा की छवि सुधार लाने वाले और अधिकारियों से लोहा लेने वाले एक व्यावहारिक राजनेता की थी, जिसकी वजह से प्रधानमंत्री पद ग्रहण करते समय उनकी लोकप्रियता 74 प्रतिशत थी. शुरू में मोबाइल फोन दरें घटाना और फर्टिलिटी उपचार के लिए बीमा देना जैसे लोकवादी कदमों की काफी प्रशंसा की गई.
लेकिन फिर एक सलाहकार समिति से सरकार की आलोचना करने वाले स्कॉलरों को हटाने और बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था के खर्चे की नीति पर गठबंधन में एक छोटे घटक दल के साथ समझौता करने के बाद उनकी आलोचना हुई. तरिक यात्रा के "गो टू" कार्यक्रम को रोकने में हुई देरी का काफी नुकसान हुआ.
विशेषज्ञों का कहना है कि संभव है कि इस देर की वजह से देश में कोरोना वायरस इतना फैला. इसके अलावा आम लोग महामारी से निपटने के लिए बार बार लगाए गए आपातकाल से परेशान हो गए, क्योंकि उनसे व्यापार को नुकसान हुआ.
सीके/एए (रॉयटर्स/एपी)