बाबरी विध्वंस सोची समझी योजना थी
९ दिसम्बर २००९बाबरी मस्जिद को गिराए जाने पर तैयार लिब्रहान रिपोर्ट पर संसद में बहस का जवाब देते हुए गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अलग अलग राज्यों से कार सेवक लाए गए और अन्य तरीक़ों से भी उन्हें मदद दी गई. इस सबका उन्होंने इकलौता मक़सद ढांचे को गिराना बताया. शोरशराबे के बीच चिदंबरम ने कहा कि उस वक़्त राज्य की कल्याण सिंह सरकार ने केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय एकीकरण परिषद से "झूठ" बोला था कि ढांचे की रक्षा की जाएगी. पी चिदंबरम ने कहा कि उस वक़्त प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव ने ग़लत राजनीतिक फ़ैसला लिया जो राज्य सरकार के आश्वासनों पर आधारित था.
बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराने के तरीक़े का विस्तार से ब्यौरा देते हुए चिदंबरम ने कहा कि यह पूरी घटना पूर्व निर्धारित थी और इसे बहुत ठंडे दिमाग़ से तैयार किया गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि आडवाणी और जोशी ने कारसेवकों की गतिविधियों को रोकने की खानापूर्ति की थी, जिसका मक़सद साफ़ था.
गृह मंत्री ने बताया कि 6 दिसंबर 1992 की सुबह आडवाणी और जोशी की विनय कटियार, अशोक सिंघल और संघ परिवार के नेताओं के साथ दरवाज़ा बंद बैठक हुई थी. सदन में अनुपस्थित आडवाणी और जोशी की तरफ़ इशारा करते हुई चिदंबरम ने कहा, "मैं पूछना चाहता हूं कि आपने क्या बात की. क्या फ़ैसला किया. आपने नाश्ता किया और फिर स्थल की तरफ़ बढ़े. देश को बताइए कि आपने उस सुबह क्या चर्चा की और क्या फ़ैसला किया."
घंटे भर चले चिदंबरम के भाषण के दौरान बीजेपी और शिवसेना के सांसद लगातार शोरशराबा करते रहे और वाजपेयी के पक्ष में नारे लगाते रहे. चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने सोचा था कि लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट आने के बाद आरएसएस और बीजेपी को अपने किए पर पछतावा होगा लेकिन उन्हें "कोई पछतावा नहीं है कोई शर्म नहीं है." लिब्रहान रिपोर्ट में बाबरी मस्जिद को गिराने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी, एल के आडवाणी और जोशी के साथ साथ विश्व हिंदू परिषद के नेताओं को ज़िम्मेदार ठहराया गया है. वहीं बीजेपी इस रिपोर्ट को पूर्वाग्रह से तैयार की हुई रिपोर्ट बताती है जिसका लक्ष्य उसके नेताओं की छवि को "ख़राब" करना है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः महेश झा