बाल विवाहः 8 तथ्य
18 साल से कम उम्र में शादी लड़की के आगे बढ़ने के सारे मौके रोक देती है. उसका स्कूल छूट जाता है, कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाती. अधिकतर मामलों में वह घर में ही बंध कर रह जाती है. काम करे भी तो मजदूरी ही कर पाती है.
दुनिया भर में 70 करोड़ महिलाएं ऐसी हैं जिनकी शादी 18 साल से कम उम्र में हो गई थी. करीब 25 करोड़ की 15 साल से भी पहले.
यूनिसेफ की सूची में बांग्लादेश का नंबर चौथा और भारत का 12वां है. भारत में बाल विवाह गैर कानूनी होने के बावजूद अभी भी लड़कियों की शादी 18 से कम उम्र में कर दी जाती है.
अगर अभी की गति बनी रही तो 2011 से 2020 के बीच 14 करोड़ से ज्यादा लड़कियों की 18 से कम उम्र में शादी हो जाएगी.
पुरानी परंपरा के अनुसार भारत के कई राज्यों में होने वाली शादियां तय तो बचपन में हो जाती थीं लेकिन लड़कियों का गौना बाद में होता था.
अधिकतर अफ्रीकी देशों में लड़कियों की हालत बहुत खराब है. गरीबी के कारण अक्सर लड़कियों की शादी कर दी जाती है, वह भी अपने से दुगने तिगुने बड़े पुरुष से.
यूनिसेफ के 2013 के आंकड़ों के मुताबिक बाल विवाह का सबसे ज्यादा प्रतिशत नाइजर में है, जहां 75 फीसदी लड़कियों की शादी 18 से कम उम्र में हो जाती है.
यमन में हाल ही में एक बच्ची का नादा अल अहद का मामला सुर्खियों में आया था जो बूढ़े व्यक्ति से शादी होने की आशंका से घर से भाग गई थी. और मां बाप से कहा कि शादी करने की बजाय वह जान देना पसंद करेगी.
जिन लड़कियों की बचपन में शादी हो जाती है वह स्कूल नहीं जा पाती. अल्पायु में गर्भ धारण करने पर प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं के कारण वे जान खो देती हैं.