बाली के बाद सिंगापुर में मनमोहन सिंह
१८ नवम्बर २०११सिंगापुर की सरकार भारतीय प्रधानमंत्री के दौरे को विशेष तवज्जो दे रही है. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "यह यात्रा दिखाती है कि भारत और सिंगापुर के बीच कितने मजबूत रिश्ते हैं. और इससे सुनिश्चित होता है कि दोनों देशों के नेताओं के बीच संपर्कों में गर्मजोशी है."
20 नवंबर को सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग भारतीय प्रधानमंत्री के सम्मान में आधिकारिक स्वागत कार्यक्रम और भोज का आयोजन करेंगे. बाद में सिंह वहां के राष्ट्रपति टोनी तान केंग याम से मुलाकात करेंगे. वह पूर्व मंत्री और सलाहकार ली कुआन यू और वरिष्ठ नेता गो चोक तोंग से भी मिलेंगे.
सिंह और गो मिलकर एशियाई सभ्यता म्यूजियम में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू चिह्न का लोकार्पण करेंगे. यह चिह्न भारत और सिंगापुर के बीच ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक होगा.
इस यात्रा पर मनमोहन सिंह के साथ उनकी पत्नी गुरशरण कौर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन, मुख्य सचिव पुलोक चटर्जी और प्रधानमंत्री कार्यालय व विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी होंगे.
बराक ओबामा से मुलाकात
एक दिन पहले ही मनमोहन सिंह ने इंडोनेशिया के बाली में आसियान सम्मेलन में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ से मुलाकात की. ओबामा की पिछले साल की "ऐतिहासिक" भारत यात्रा को याद करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा, "पिछले एक साल में हमने हर दिशा में प्रगति की है. निवेश, व्यापार, उच्च शिक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और रक्षा क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग मजबूत हुआ है."
नवंबर में ओबामा भारत की यात्रा पर आए थे. उसके बाद से दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात थी. शुक्रवार को ओबामा ने भी अपनी बात की शुरुआत उसी यात्रा को याद करते हुए की. उन्होंने कहा कि वह यात्रा असाधारण थी जिसमें दोनों पक्षों ने दोस्ताना और व्यापारिक संबंधों को नई मजबूती दी.
उन्होंने कहा, "हम काफी मुद्दों पर प्रगति कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच का यह रिश्ता सिर्फ नेताओं के स्तर पर नहीं है, बल्कि निजी स्तर पर भी है. हमारे लिए यह एक शानदार मौका है जब हम न सिर्फ द्विपक्षीय स्तर पर बल्कि कई स्तरों अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए काम कर सकते हैं." ओबामा ने खासतौर पर समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद और परमाणु अप्रसार का जिक्र किया. मनमोहन सिंह ने ओबामा से दोनों देशों के बीच हुए परमाणु समझौते को लागू करने के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात की.
करीब एक घंटा चली मुलाकात में अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने देश की कंपनियों की समस्याओं के निपटारे का मुद्दा उठाया. मनमोहन सिंह ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी कंपनियों की समस्याओं का निपटारा भारतीय कानूनों के हिसाब से किया जाएगा. ओबामा ने कहा था कि अमेरिकी कंपनियों को शिकायत है कि भारतीय कानून निवेश के लिए मददगार साबित नहीं हो रहे हैं. मनमोहन सिंह ने बताया, "मैंने उन्हें (ओबामा को) समझाया कि हमारे यहां कानून हैं. नियम बने हुए हैं. इसलिए हम अमेरिकी कंपनियों की चिंताओं को अपने कानूनों के हिसाब से ही हल करेंगे. हां अगर उनकी कोई विशेष समस्या होगी तो हम उस पर ध्यान देने को तैयार हैं."
वेन जियाबाओ से मुलाकात
भारतीय प्रधानमंत्री ने चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ से भी मुलाकात की. कुछ समय पहले ही दोनों देशों के बीच दक्षिणी चीन सागर के संसाधनों को लेकर शब्द युद्ध हुआ था. लेकिन शुक्रवार को दोनों नेता इस सहमति पर पहुंचे कि संबंधों की बेहतरी में काफी गुंजाइश है और इसके लिए काम करने की जरूरत है.
सिंह ने वेन जियाबाओ से कहा कि भारत चीन के साथ बेहतरीन संबंध बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, "हम पड़ोसी हैं और एशिया की बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यस्थाएं भी. हमें न सिर्फ एक दूसरे के साथ बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सहयोग करना चाहिए." अपनी बात पर जोर देने के लिए मनमोहन सिंह पर्यावरण परिवर्तन की मिसाल दी. उन्होंने कहा कि भारत और चीन ने जब भी इस मुद्दे पर मिलकर काम किया है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसके सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं.
रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार
संपादनः ओ सिंह