बिना पिए भी होता है शराब का बुरा असर
२० मार्च २०१९मेडिकल रिसर्च यह तो बता ही चुकी है कि शराब पीने से सेहत पर कैसे कैसे दुष्प्रभाव पड़ते हैं. लेकिन उन लोगों का क्या जो शराब पीने वालों के आसपास रहते हैं, उनसे संबंधित हैं या फिर उनकी हरकतों के शिकार बनते हैं?
एक जर्मन स्टडी में पता चला है कि शराब के कारण उन लोगों को भी बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है, जिन्होंने खुद एक बूंद भी ना पी हो.
म्युनिख के इंस्टीट्यूट फॉर थेरेपी रिसर्च ने पता लगाया है कि थर्ड पार्टी पर यानि खुद शराब ना पीने वालों पर भी इसके खतरनाक और कई बार तो जानलेवा असर होते हैं.
स्टडी के अनुसार, केवल जर्मनी में ही साल 2014 में करीब 15.5 हजार ऐसे बच्चे पैदा हुए, जिन्हें उनकी मां के गर्भावस्था में शराब पीने के कारण नुकसान पहुंचा था. इसके अलावा, देश की सबसे जानलेवा कार दुर्घटनाओं में से आधी ऐसी थीं जिनमें ड्राइवर ने शराब पी रखी थी. इस स्टडी के रिसर्चर कहते हैं, "एल्कोहल के कारण समाज पर या दूसरों पर पड़ने वाले बुरे असर को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या में रूप में पहचाना जाना चाहिए."
अनुमान से कहीं ज्यादा खतरनाक
फीटल एल्कोहल सिंड्रोम के साथ पैदा हुए बच्चों का वजन आम तौर पर कम ही रह जाता है, कुछ शारीरिक कमियां आ जाती हैं या फिर उनके सिर छोटे रह जाते हैं. उन्हें कई तरह के व्यवहार संबंधी, भावनात्मक या दूसरी समस्याएं आती हैं.
इस रिसर्च टीम का नेतृत्व करने वाले डॉ लुडविग क्राउस इसे नवजात बच्चों के लिए खास तौर पर चिंताजनक बताते हैं. नए आंकड़े पहले के अनुमान से कहीं अधिक बड़ी समस्या को दिखाते हैं. इस नतीजे पर पहुंचने के लिए उनकी टीम ने 2014 में जर्मनी में पैदा हुए बच्चों का लाइव डाटा इस्तेमाल किया. ज्यादा सटीक अनुमान लगाने के लिए फिर इसे गर्भावस्था के दौरान शराब के सेवन के अंतरराष्ट्रीय सर्वे स्टडीज से मिलाया गया.
बड़ी सड़क दुर्घटनाएं
रास्ते पर चलने वालों और दूसरे कार यात्रियों को भी शराब पी कर गाड़ी चलाने वालों से भारी खतरा होता है. स्टडी में पाया गया कि 2014 के 45 फीसदी से अधिक सड़क हादसों में शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर शामिल थे. शराब से जुड़ी दुर्घटनाओं की संख्या तो इससे भी कहीं ज्यादा होती हैं.
इसके अलावा, शराब पीकर मारपीट करने के कारण भी हर साल बहुत से लोगों की जान चली जाती है.
रोकथाम जरूरी
डॉ क्राउस कहते हैं कि मां बनने वाली महिलाओं, सड़क पर चलने वाले लोगों और दूसरे प्रभावित लोगों को ध्यान में रख कर नीतियां बनानी होंगी ताकि शराब के सेवन के दूसरों पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सके. जैसे कि अगर डॉक्टर ही गर्भवती महिलाओं की अल्कोहल स्क्रीनिंग करें या फिर सड़कों पर जगह जगह पुलिस चेक करे और शराब पीकर हिंसर हो जाने वालों की खास ट्रेनिंग करवाई जाए, तो शायद ऐसे मामलों को कम किया जा सके.
रेबेका श्टाउडेनमायर/आरपी