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बेबाक और उदारवादी आवाज थे सलमान तासीर

४ जनवरी २०११

पाकिस्तान की मौजूदा सियासत में सलमान तासीर को ऐसी आवाज माना जाता था जो उदारवादी नेता होने के साथ साथ बेबाकी से अपनी राय रखते थे. कट्टरपंथियों के खिलाफ लगातार मुहिम चलाने की वजह से उन्हें अपनी जान देनी पड़ी.

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तस्वीर: DW

पाकिस्तान के सबसे अहम प्रांत पंजाब के गवर्नर तासीर को मंगलवार को ऐसी जगह गोली मारी गई जो कट्टरपंथ नहीं बल्कि खुले समाज की प्रतीक मानी जाती है. उन्हें विदेशियों के पसंदीदा बाजार में गोली मारी गई.

66 साल के तासीर अकसर तालिबान और इस्लामी चरमपंथियों का विरोध करते थे. उनका आरोप था कि विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर सही रुख नहीं अपना रही है. स्याह काले बाल और टिप टॉप कपड़ों में रहने वाले तासीर मीडिया के दोस्ताना रवैया रखते थे और पाकिस्तान के उन गिने चुने नेताओं में शुमार थे जो आधुनिक तकनीक से दो चार थे. ट्विटर पर उनका अकाउंट लगातार अपडेट होता था और 5500 से ज्यादा फोलोअर उनके ट्वीट पढ़ा करते थे.

अपने आखिरी ट्वीट में मंगलवार को ही तासीर ने लिखा, "राष्ट्रपति जरदारी ने जिस तरह प्रधानमंत्री को पूरा समर्थन दिया है, उससे एक बार फिर पीपीपी आलाकमान में दरार की अटकलें खारिज हो गई हैं. सरकार 2013 तक बनी हुई है." पाकिस्तान में एमक्यूएम के समर्थन वापस लेने के बाद गिलानी सरकार अल्पमत में आ गई है. कुछ विपक्षी नेता प्रधानमंत्री गिलानी को हटाने की मांग कर रहे हैं.

एक कारोबारी के तौर पर तासीर ने अपने करियर की शुरूआत की. लेकिन बाद में पंजाब असेंबली के चुनावों में उन्होंने किस्मत आजमाई और जीत हासिल की. तासीर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बेहद करीबी समझे जाते थे जिन्हें 1979 में फांसी दे गई. इसके बाद बेनजीर भुट्टो और उनके पति आसिफ अली जरदारी से भी तासीर की अच्छी बनती रही. वैसे वह पीपीपी के कट्टर विरोधी मुस्लिम लीग एन के प्रमुख मियां नवाज शरीफ के क्लास फेलो रह चुके हैं.

परवेज मुशर्रफ के राष्ट्रपति रहते हुए 2007 में तासीर को उद्योग और उत्पादन मंत्री बनाया गया, जब मोहम्मद अली सूमरो ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर कुछ दिन काम किया. बाद में 2008 में पाकिस्तान में आम चुनाव के बाद उन्हें पंजाब का गवर्नर बना दिया गया.

तासीर के पिता लाहौर के मशहूर इस्लामिया कॉलेज के प्रिंसीपल थे और वह देश के जाने माने बुद्धिजीवी वर्ग के साथ पले बढ़े. तासीर की वेबसाइट के मुताबिक जब वह छोटे थे तभी उनके पिता की मौत हो गई. पढ़ाई के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे जिसके बाद उनकी मां ने किसी तरह उन्हें इंग्लैंड भेज दिया जहां तासीर पढ़ाई के साथ साथ काम भी करने लगे. वह एक चार्टर अकाउंटेंट बने.

वैसे तासीर को भारतीय लेखिका तवलीन सिंह के साथ रिश्तों के लिए भी जाना जाता था. तवलीन और तासीर का एक बेटा है जबकि तासीर उस दौरान पाकिस्तान में अपनी पत्नी के साथ रहे थे.

पाकिस्तान में तासीर को जनरल जिया उल हक के मार्शल लॉ का विरोध करने की वजह से जेल भी जाना पडा. और यही वह समय था जब पाकिस्तान में इस्लामी चरमपंथ पनप रहा था.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ए कुमार

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