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बेरोजगारी और मंदी से यूरो जोन तबाह

२ मार्च २०१२

यूरो जोन एक ओर कर्ज संकट से जूझ रहा है तो दूसरी ओर रिकॉर्ड बेरोजगारी, कमजोर होते औद्योगिक उत्पादन और बढ़ती महंगाई से परेशान है. जर्मन उद्योग भी आर्थिक फिसलन को रोक पाने में विफल रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

मशीनरी और रासायनिक उद्योग की हालत खास तौर से खराब है. ऐसी हालत में यूरोपीय केंद्रीय बैंक का ब्याज दर कम करना आम तौर पर सही संदेश होता, लेकिन उसकी मुश्किल यह है कि आर्थिक विकास दर गिरने के साथ महंगाई भी बढ़ रही है. ब्याज दर कम कर पैसे को और सस्ता करना और महंगाई को न्यौता देगा.

यूरोपीय सांख्यिकी कार्यालय यूरोस्टैट ने कहा है कि यूरो जोन में बेरोजगारी दर जनवरी में अचानक बढ़कर 10.7 फीसदी हो गई. दिसंबर से पौने दो लाख से ज्यादा लोगों ने नौकरी खो दी है. कर्ज संकट से बुरी तरह घिरे स्पेन में बेरोजगारी दर 23.3 फीसदी हो गई है जो पूरे यूरो जोन में सबसे ज्यादा है. ऑस्ट्रिया की हालत सबसे अच्छी है. वहां बेरोजगारी दर सिर्फ चार प्रतिशत है जबकि जर्मनी में 5.8 प्रतिशत लोग बेरोजगार हैं.

बेरोजगारी का असर लोगों की खरीदने की क्षमता पर भी पड़ रहा है. सैक्सो बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री स्टीन जैकबसन का कहना है, "भारी बेरोजगारी से दोहरी मुश्किल है. एक तो सामाजिक और दूसरे आर्थिक विकास की. यूरोपीय बैंक ने बैंकों को नया धन देकर शेयर बाजारों की तो मदद की है, लेकिन असली अर्थव्यवस्था अभी भी उसके असर के इंतजार में है." जैकबसन कहते हैं कि धन कर्ज के रूप में कंपनियों के पास नहीं पहुंच रहा है. यूरोपीय बैंक ने बुधवार को करीब 800 बैंकों को एक प्रतिशत के ब्याज पर तीन साल के लिए कुल 530 अरब यूरो दिया है.

Deutschland Fachkräfte Fachkräftemangel Deutsch-indisches Joint-Venture in Dresden
तस्वीर: picture-alliance/dpa

सफलता की आदी और आयात पर निर्भर जर्मन अर्थव्यवस्था भी मुश्किलों का दबाव झेल रही है. रासायनिक उद्योग संघ ने 2012 के लिए अपना अनुमान घटा दिया है. दिसंबर में एक प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान था, लेकिन अब अनुमान है कि उत्पादन में वृद्धि नहीं होगी जबकि टर्नओवर एक प्रतिशत की वृद्धि के साथ 186 अरब यूरो होने की संभावना है. पहले दो प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान था.

मशीनरी उद्योग भी 2011 की सफलताओं के बाद अब मुश्किल दिनों का सामना कर रहा है. जनवरी में ऑर्डरों की तादाद एक साल पहले की तुलना में छह फीसदी गिर गई. उद्योग संघ वीडीएमए का कहना है कि खास कर घरेलू बाजार से उन्हें कम ऑर्डर मिले हैं. उसमें नौ फीसदी की कमी आई है.

लोगों की क्रय शक्ति सिर्फ बेरोजगारी के कारण नहीं घट रही है. चीजों की कीमतें भी तेजी से बढ़ रही हैं. पेट्रोल और हीटिंग महंगी हो गई है. पेट्रोल की कीमत बढ़ने का असर दूसरी चीजों पर भी पड़ता है. सामानों और सेवा की कीमत 2.7 प्रतिशत ज्यादा हो गई. ईरान संकट के कारण तेल की कीमत लगातार बढ़ रही है. फरवरी में पेट्रोल की कीमतों का नया रिकॉर्ड बना है. हिज ग्लोबल इनसाइट के होवार्ड आर्चर कहते हैं, "यह उपभोक्ताओं के लिए बुरी खबर है."

Markthalle am Marheinekeplatz in Berlin,
तस्वीर: picture-alliance/ZB

कीमतों में वृद्धि दो फीसदी से कम हो तो केंद्रीय बैंक स्थिर कीमतों की बात करता है. कॉमर्स बैंक के क्रिस्टॉफ वाइल कहते हैं इस साल कीमतों के इससे कम होने की संभावना नहीं है और ईरान समस्या का भी कोई हल दिख नहीं रहा है. तेल की कीमतें सिर्फ आम लोगों को परेशान नहीं कर रही हैं, उद्यमियों की भी हालत खस्ता है.

फरवरी में यूरोप में हजारों कंपनियों का सर्वे करने वाले मार्केट संस्थान का कहना है कि तेल, ऊर्जा, प्लास्टिक और स्टील तथा दूसरे कच्चे मालों के महंगे होने के कारण खर्च इतना बढ़ा है जितना सर्वे के इतिहास में पहले नहीं हुआ. यूरो जोन के हर देश में उत्पादन खर्च बढ़कर मध्य 2011 के स्तर पर पहुंच गया है. लेकिन मांग में कमी के कारण उद्यमी अपने मालों की कीमत नहीं बढ़ा सकते.

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खर्च के दबाव के कारण यूरोपीय उद्यमों को संकट से बाहर निकलने में मुश्किल हो रही है. फरवरी में उनका कारोबार एक महीने पहले की तुलना में खराब रहा. सिर्फ ऑस्ट्रिया में उद्योग ने विकास की साफ दर दिखाई है. जर्मनी और हॉलैंड में भी थोड़ा विकास हुआ है जबकि फ्रांस में अगस्त 2011 के बाद पहली बार हालत स्थिर हुई है. इटली में आर्थिक मंदी धीमी हो गई है जबकि स्पेन और ग्रीस की हालत और खराब हो गई है. ग्रीस में 1999 में सर्वे शुरू होने के बाद से उत्पादन और ऑर्डरों की तादाद में सबसे ज्यादा कमी आई है.

रिपोर्ट: रॉयटर्स/महेश झा

संपादन: ए जमाल

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