बेलारूस ने बंद की अपनी सीमाएं, सेना को किया 'सतर्क'
१८ सितम्बर २०२०बेलारूस में हालिया राष्ट्रपति चुनावों के बाद से राजनीतिक संकट चल रहा है. विपक्ष ने इन चुनावों में एक बार फिर से राष्ट्रपति अलेक्जांडर लुकाशेंको की जीत को मानने से इनकार कर दिया, जो ढाई दशक से सत्ता में हैं. कई हफ्तों से उनके खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं. स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि शहरों में सेना को तलब किया गया. हालांकि गुरुवार को राष्ट्रपति लुकाशेंको ने सैनिकों को देश की सीमा पर तैनात करने की बात कही.
इसके साथ ही उन्होंने "पश्चिमी देशों और सबसे पहले लिथुआनिया और पोलैंड" के साथ सीमाएं बंद करने का हुक्म भी दिया. उन्होंने कहा, "हमें सबसे ज्यादा अफसोस इस बात का है कि हमें अपने मित्र देश यूक्रेन के साथ लगने वाली सीमा पर भी सैन्य मौजूदगी मजबूत करनी पड़ रही है."
लेकिन दूसरी तरफ पोलैंड के अधिकारियों ने कहा है कि सीमा पर स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है. पोलैंड के विदेश उप मंत्री पावेल जाबलोंस्की ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "हम इसे प्रोपेगैंडा की एक और कोशिश समझते हैं, एक मनोवैज्ञानिक हथकंडा जिसका मकसद बाहरी खतरे की भावना पैदा करना है." लिथुआनिया के अधिकारियों ने भी सीमा पर सामान्य स्थिति होने की पुष्टि की है. उनका कहना है कि वे इस बात पर नजर रखे हुए हैं कि किस तरह बदलाव होते हैं.
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पद छोड़ने का दबाव
विपक्ष लगातार लुकाशेंको पर पद छोड़ने के लिए दबाव बनाए हुए है. चुनाव में लुकाशेंको को टक्कर देने वाली विपक्षी नेता स्वेतलाना तिखानोवस्काया ने डीडब्ल्यू के साथ इंटरव्यू में कहा, "हमारे लोग नहीं हटेंगे. वे हर दिन जगते हैं और एक नया बेलारूस देखना चाहते हैं. जिस व्यक्ति को पद छोड़ना है, वह मिस्टर लुकाशेंको हैं." जवाब में बेलारूस के अधिकारी सरकार विरोधियों और विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं.
वहीं पश्चिमी देश बेलारूस के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की धमकी दे रहे हैं, जिनमें प्रतिबंध लगाना भी शामिल है. शुक्रवार को 30 देशों ने एक साझा बयान जारी कर बेलारूस के अधिकारियों से इंटरनेट ब्लैकआउट को बंद करने को कहा. दुनिया भर में कई सरकारें अपनी आलोचना को दबाने के लिए अकसर ऐसा करती हैं.
वहीं 17 सदस्यों वाले यूरोपीय सुरक्षा और सहयोग संगठन ने बेलारूस में अगस्त के विवादित राष्ट्रपति चुनावों के बाद पैदा हालात में मानवाधिकारों के उल्लंघन की पड़ताल की जांच कराने की घोषणा की है. संगठन के बयान में कहा गया है, "इस मिशन का मकसद बेलारूस के अधिकारियों को जवाबदेह ठहराना है."
एके/एनआर (रॉयटर्स, डीपीए, एपी)
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