बॉलीवुड के नए लोग मेहनत नहीं करतेः मन्ना डे
२० अगस्त २०१०फिल्म के क्षेत्र में दिए जाने वाले भारत के सबसे बड़े पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित मन्ना डे ने 'पूछो न कैसे', 'जिंदगी कैसी है पहेली' और 'ऊपर गगन विशाल' जैसे यादगार गीत दिए हैं. वह कहते हैं कि पुराने समय में गीत रचने में बहुत वक्त लगता था. उनके मुतबिक, "हम तीन-चार दिन तक गानों की रिहर्सल करते थे, तब जाकर कोई गीत तैयार होता था. इसमें संगीतकार, गीतकार और फिल्म प्रोड्यूसर, सबका योगदान होता था. लेकिन अब फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा नहीं होता. तुरत फुरत गाने तैयार होते हैं. समझ लीजिए जैसे फैक्ट्री में बनते हैं. अब वह बात नहीं."
मन्ना डे नए गायकों और संगीतकारों को रियाज करने की सलाह देते हैं ताकि बढ़िया संगीत तैयार हो सके जो बॉलीवुड की पहचान रही है. सिंगापुर में हुए एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे मन्ना दा ने कहा, "मैं सिर्फ भगवान से दुआ कर सकता हूं कि इन नए गायकों को सदबुद्धि दे ताकि वे सीखें कि किसी कंपोजिशन को कैसे गाया जाए. भारतीय संगीत की बहुत समृद्ध और शानदार परंपरा रही है."
हिंदी फिल्म संगीत के स्वर्णिम युग की बातें करते हुए मन्ना डे भारत के शोमैन कहे जाने वाले राज कपूर, उनके भाई शम्मी कपूर, संगीतकार नौशाद, रवि और शंकर जयकिशन जैसे उन सभी लोगों को याद करते हैं जिनके साथ उन्होंने काम किया. राज कपूर की आवारा, श्री 420 और चोरी चोरी जैसी कामयाब फिल्मों में यादगार गीत गाने वाले मन्ना डे कहते हैं, "उस वक्त एक समर्पण था. जब गीत की धुन बनती, तो राज कपूर साथ बैठते थे. तभी सीन की बात भी करते थे ताकि गीत का लहजा और रफ्तार बिल्कुल ठीक हो. गीत के बोलों को सही किया जाता था ताकि उससे बिल्कुल सही संदेश जाए."
1940 के दशक में अपने करियर की शुरुआत करने वाले मन्ना डे पुराने दौर की कुछ कमियों की तरफ भी इशारा करते हैं. वह कहते हैं, "जब कोई गाना तैयार होता, तो उसमें बहुत सारे लोगों का योगदान होता था, लेकिन तारीफ सिर्फ मुख्य गायक को मिलती थी." मन्ना डे ने अपने करियर में साढ़े तीन हजार से ज्यादा गीत गाए हैं, जिसमें हिंदी गानों की संख्या अधिक है.
उनके सबसे यादगार गानों में प्यार हुआ इकरार हुआ, लागा चुनरी में दाग, ऐ मेरी जोहराजबीं, सुर न सजे क्या गाऊं मैं, दिल का हाल सुने दिलवाला, ना तो कारवां की तलाश है, ऐ मेरे प्यारे वतन और चुनरी संभाल गोरी खास तौर से शामिल हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः महेश झा