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ब्रदरहुड पर पाबंदी उपाय नहीं

२० अगस्त २०१३

मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड के धार्मिक प्रमुख को गिरफ्तार कर लिया गया है. अंतरिम सरकार देश में अशांति को मुस्लिम चरमपंथियों से जंग का नाम दे रही है. जर्मनी में हिंसा के कारण मिस्र के साथ सहयोग पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

कुछ ही हफ्ते पहले की बात है ब्रदरहुड अपने उठान पर था. मिस्र में पहले लोकतांत्रिक राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के साथ ब्रदरहुड शासन कर रहा था. अब वही ब्रदरहुड अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. मुर्सी सत्ता से बाहर हैं और दूसरे प्रमुख नेताओं की धड़ पकड़ चल रही है. प्रमुख धार्मिक नेता मोहम्मद बादी इसमें सबसे ताजा कड़ी हैं जिन्हें मंगलवार सुबह गिरफ्तार किया गया. ब्रदरहुड पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. इसके बाद भी मिस्र की सड़कों पर मुर्सी समर्थकों की आवाज गूंज रही है, ब्रदरहुड समर्पण नहीं करेगा, "हम अपना खून और अपनी जान मुर्सी के लिए कुर्बान करेंगे."

सेना और अंतरिम सरकार भी झुकने को तैयार नहीं. उनका कहना है, देश में "आतंकवाद के खिलाफ जंग" चल रही है. उनकी नजरों में मुस्लिम ब्रदहुड के सदस्य आतंकवादी हैं. अंतरिम प्रधानमंत्री हासिम अल बिबलावी ने ब्रदरहुड पर पाबंदी की चेतावनी दी है, "उन लोगों से कोई समझौता नहीं हो सकता जिनके हाथ खून से रंगे हैं."

Verteidigungsminister Abdel Fattah al-Sisi
अल सिसीतस्वीर: picture-alliance/dpa

पश्चिमी देशों से आलोचना

नए नेतृत्व के कड़े रुख की पश्चिमी देशों में सख्त आलोचना हो रही है. यूरोपीय संघ के प्रमुख हरमन फान रोमपॉय और आयोग प्रमुख जोस मानुएल बारोसो ने बयान जारी कर कहा है, "पिछले दिनों हुई हिंसा और हत्याएं ना तो उचित हैं" ना इन्हें चुपचाप सहन किया जाएगा. इटली के विदेश मंत्री एम्मा बोनिनो ने भी ब्रदरहुड पर पाबंदी लगाने के खिलाफ चेतावनी दी है. बोनिनो ने कहा, "नतीजे विध्वंसकारी हो सकते हैं. इसका मतलब है कि उन्हें भूमिगत होने पर मजबूर किया जा सकता है और इससे उग्रवादी धड़ा मजबूत होगा. अगर मिस्र में अव्यवस्था और अशांति बनी रहती है तो इससे पूरा इलाका प्रभावित होगा."

माइंस यूनिवर्सिटी के गुंटर मायर नहीं मानते कि ब्रदरहुड पर पाबंदी से स्थिति में कोई सुधार होगा, "मुस्लिम ब्रदरहुड की तरफ से बहुत कड़वाहट भर गई है. वो अपने संघर्ष को पूरी तरह उचित मानते हैं क्योंकि वे लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए थे. अगर पाबंदी लगा दी गई तो भी वह अपने संघर्ष को जारी रखने के लिए कुछ भी करेंगे. उनके भूमिगत हो जाने का भी खतरा है. तब हमें भूमिगत हमलों की आशंका झेलनी होगी."

अब तक मुर्सी समर्थकों में ज्यादातर शांतिप्रिय हैं लेकिन उनमें उग्र तत्वों की जमात धीरे धीरे बढ़ रही है. पाबंदी लगी तो हालात और बिगड़ेंगे. मायर का कहना है कि पाबंदी से संगठन को नुकसान पहुंचाना मुमकिन नहीं हो पाएगा. ब्रदरहुड के पास एक बड़ी आबादी का समर्थन है. स्कूल, मस्जिद और गरीबों की मदद के जरिए उनका सामाजिक आधार मजबूत है. इसके अलावा सरकार का दबाव झेलने का उनका अनुभव भी काफी पुराना है. 85 साल के उनके इतिहास में उन्हें कभी राजनीतिक रूप से सक्रिय होने की आजादी मिली तो कभी वो सरकार के साथ हिंसक संघर्ष में फंसे. मुर्सी की तरह ही गुट के कई और सदस्यों ने बहुत सा वक्त जेल में बिताया है.

हिंसा का अंत नहीं

रविवार को मिस्र के सेना प्रमुख अब्देल फतह अल सिसी ने ब्रदरहुड से अपना विरोध बंद करने और राजनीतिक प्रक्रिया में लौटने को कहा. सेना प्रमुख ने "मिस्र में सबके लिए जगह है" कहने के साथ ही यह चेतावनी भी दी कि अगर इस्लामी ताकतों ने हिंसा का सहारा लिया तो सुरक्षा बल सख्ती के साथ उनसे निपटेंगे. अल सिसी ने कहा, "हम अपने देश को तबाह होते नहीं देखेंगे." मायर को नहीं लगता कि सेना के साथ जल्दी ही कोई समझौता हो सकेगा. उनके मुताबिक मुर्सी के समर्थकों और विरोधियों के बीच खाई काफी चौड़ी हो गई है.

Cloppenburg Wahlkampf CDU Merkel
अंगेला मैर्केलतस्वीर: picture-alliance/dpa

हर पीड़ित की संख्या के साथ नफरत बढ़ रही है और इन सबके साथ जो बिखर रहा है वह है मानवाधिकार. मायर का कहना है, "इससे दोनों पक्षों में किसी का भला नहीं होगा." विरोध शिविरों पर कार्रवाई, पुलिसकर्मियों की हत्या और कॉप्टिक चर्चों पर हमले के पीड़ित इसका मतलब जानते हैं. मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़े मिस्र के जानकार फिलिप लुथर विरोधियों पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई को, "बेहद हिंसक" मानते हैं. फिलिप के मुताबिक कुछ प्रदर्शनकारी भी हिंसक हैं लेकिन पुलिस ने ज्यादा क्रूरता से काम लिया. पुलिस शांतिपूर्ण और उग्र प्रदर्शनकारियों के बीच फर्क करना भूल गई. फिलिप आम नागरिकों पर गोलियां चलते देख हैरान हैं. पिछले हफ्ते एमनेस्टी की टीम ने कई अस्पतालों का दौरा किया. उन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि कई पीड़ितों के सिर और सीने में गोली मारी गई है. एमनेस्टी की मांग है कि सुरक्षा बलों की कार्रवाई की तुरंत जांच होनी जरूरी है. इसका मतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षकों को यहां आने की इजाजत देना.

इस बीच जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने मिस्र में हिंसा को देखते हुए वहां की सरकार के साथ सहयोग पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, "हम मिस्र में हो रहे विकास की रोशनी में उसके साथ सहयोग पर विचार करेंगे." उन्होंने सेना के साथ साथ मुस्लिम ब्रदरहुड और दूसरे दलों के जिम्मेदार लोगों से हिंसा को तुरंत रोकने और राष्ट्रीय सुलह के रास्ते पर चलने की मांग की. उन्होंने कहा कि मिस्र में शांतिपूर्ण समाधान के लिए कूटनैतिक प्रयासों में ढील नहीं दी जानी चाहिए.

रिपोर्टः नील्स नाउमन/एनआर

संपादनः महेश झा