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ब्रह्मांड में कितना मैटर और कितना डार्क मैटर

१ अक्टूबर २०२०

अमेरिका के कुछ अंतरिक्ष भौतिकविज्ञानियों की एक टीम ने ब्रह्मांड में मौजूद मैटर की अब तक की सबसे सटीक गणना की है. ब्रह्मांड में कितना मैटर है इसका रहस्य सुलझाने की कोशिशें लंबे समय से चल रही हैं.

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Bilder vom Universum
तस्वीर: NASA/Cover Images/picture alliance

सोमवार के एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक ब्रह्मांड में मैटर की कुल मात्रा 31.5 फीसदी है. हमारा ब्रह्मांड मैटर और एनर्जी यानी पदार्थ और ऊर्जा के संयोग से बना है.  अगर मैटर और एनर्जी की संपूर्ण मात्रा के हिसाब से देखें तो हमारा ब्रह्मांड इसका महज 1.3 फीसदी है. 

मैटर के अलावा जो बाकी 68.5 फीसदी हिस्सा है वह डार्क एनर्जी है. डार्क एनर्जी एक रहस्यमयी बल है जो समय के साथ ब्रह्मांड के विस्तार को गति देने के लिए जिम्मेदार है. वैज्ञानिकों ने 1990 के देशक में डार्क एनर्जी के बारे में सुदूर सुपरनोवाको देख कर अनुमान लगाया था.

मैटर की मात्रा को समझने के लिए एक दूसरा तरीका भी है. रिसर्च का नेतृत्व कर रहे कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के मोहम्मद अब्दुल्लाह का कहना है कि जिस ब्रह्मांड को हम देख सकते हैं उसमें मौजूद मैटर की मात्रा सूरज के द्रव्यमान से 66 अरब खरब गुना है.

मैटर के ज्यादातर यानी लगभग 80 फीसदी हिस्से को डार्क मैटर कहा जाता है. इसकी प्रकृति कैसी है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. हालांकि माना जाता है कि इसमें कुछ ऐसे सबएटॉमिक कण हो सकते हैं जिनकी खोज अभी नहीं हुई है.

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तस्वीर: NASA/Cover Images/picture alliance

नई माप इससे पहले की गई माप में मिले आंकड़ों से मेल खा रही है. अलग अलग टीमों ने इन आंकड़ों का दूसरी तकनीकों का इस्तेमाल कर पता लगाया था. इसमें बिग बैंग से निकले कम ऊर्जा वाले विकिरण के कारण तापमान में होने वाले बदलाव को मापना भी शामिल है.

रिसर्च की सह लेखिका जिलियन विल्सन ने बताया, "यह एक लंबी प्रक्रिया है जैसे कि बीते 100 सालों में हम धीरे धीरे ज्यादा सटीक होते गए हैं. हम बिना पृथ्वी को छोड़े इस ब्रह्मांड के बारे में इस तरह की बुनियादी माप कर लेना शान की बात है."

तो आखिर ब्रह्मांड को तौला कैसे गया होगा. टीम ने इसके लिए 90 साल पुरानी एक तकनीक का इस्तेमाल किया. इस तकनीक में इस बात पर नजर रखी जाती है कि आकाशगंगाएं हजारों आकाशगंगाओं के क्षेत्र में कैसे परिक्रमा करती हैं. इस दौरान यह देखा जाता है कि हरेक आकाशगंगा के क्षेत्र (क्लस्टर) में कितना मजबूत गुरुत्वाकर्षण है और इसी गुरुत्वाकर्षण बल से संपूर्ण भार की गणना कर ली जाती है.

वास्तव में इस तकनीक को विख्यात अंतरिक्षविज्ञानी फ्रित्स ज्विकी ने विकसित किया था. वो पहले शख्स थे जिन्होंने 1930 के दशक में ही डार्क मैटर के अस्तित्व का संदेह जताया था. उन्होंने आकाशगंगा के कोमा क्लस्टर में देखा कि सारी आकाशगंगाओं का गुरुत्वाकर्षण बल उन्हें एक दूसरे से दूर जाने से रोकने के लिए पर्याप्त नहीं था. तब उन्होंने अंदाजा लगाया कि वहां जरूर कोई अदृश्य मैटर है जो अपनी भूमिका निभा रहा है.

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की टीम को नासा और यूएस नेशनल साइंस फाउंडेशन से इस रिसर्च के लिए पैसा मिला. उन्होंने ज्विकी की तकनीक में थोड़ा सुधार कर एक नया औजार विकसित किया है. यह औजार ज्यादा सटीक तरीके से बता सकता है कि कौन सी आकाशगंगा किसी दिए गए क्लस्टर से जुड़ी है और कौन नहीं. रिसर्चरों ने अपने औजार का इस्तेमाल स्लोन डिजिटल स्काई सर्वे पर किया. यह ब्रह्मांड का सबसे ज्यादा विस्तृत थ्रीडी नक्शा है. इसके जरिए रिसर्चरों ने आकाशगंगाओं के 1800 क्लस्टरों की गणना की और एक सूची तैयार की. आखिरकार उन्होंने सूची में दर्ज जितने क्लस्टरों की निगरानी की थी उनके प्रति ईकाई आयतन की कंप्यूटर सिम्युलेशनों से तुलना की. इनमें से हर सिम्युलेशन में ब्रह्मांड के संपूर्ण मैटर के भार के लिए एक अलग मात्रा दर्ज की गई थी. जिन सिम्युलेशनों में कम मैटर था उनमें कम क्लस्टर थे जबकि जिनमें ज्यादा मैटर था उनमें ज्यादा क्लस्टर.  इसके बाद उन्होंने गोल्डीलॉक मात्रा निकाली, जो बिल्कुल सही बैठ गई. गोल्डीलॉक तरीके में तीन या उससे ज्यादा गणनाओं को निकाल कर सही गणना हासिल की जाती है.

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तस्वीर: Swiss Federal Institute of Technology Lausanne/AFP

विल्सन ने बताया कि ज्यादा सटीक तरीके से ब्रह्मांड में मौजूद मैटर की संपूर्ण मात्रा को मापने से हम हम डार्क मैटर की प्रकृति को समझने की दिशा में करीब आ गए हैं, क्योंकि "हम जानते है कि मैटर की कितनी मात्रा की हमें तलाश करनी है." खासतौर से जब वैज्ञानिक लार्ज हेड्रॉन कोलाइडर जैसे प्रयोग करेंगे तब.

विल्सन ने साथ ही यह भी कहा, "डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की संपूर्ण मात्रा ब्रह्मांड की किस्मत के बारे में जानकारी दे सकती है." वर्तमान में वैज्ञानिकों के बीच यह आम सहमति है कि हम एक "बड़े जमाव" की तरफ बढ़ रहे हैं जहां आकाशगंगाएं एक दूसरे दूर और दूर होती जाएंगी और फिर इन आकाशगंगाओं के तारों का ईंधन खत्म हो जाएगा.

एनआर/ओएसजे(एएफपी)

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