ब्रिटेन में एंटी-सेमिटिज्म
१८ जनवरी २०१५'कैंपेन अगेंस्ट एंटी-सेमिटिज्म' या सीएए नाम के एक लॉबी ग्रुप के लिए पोलस्टर यूगव ने एक सर्वे किया जिसमें शामिल 45 फीसदी लोगों ने किसी ना किसी तरह की एंटी-सेमिटिक भावना का प्रदर्शन किया. हर चार में से एक का मानना है कि यहूदी बाकियों से ज्यादा "पैसे के पीछे भागते" हैं. वहीं हर छह में से एक इस बात से सहमत हैं कि "यहूदी खुद को औरों से बेहतर समझते हैं" और यहूदी "मीडिया में बहुत शक्तिशाली हैं."
दूसरा सर्वे भी सीएए ने ही रिलीज किया है जिसका मकसद यहूदियों के नजरिए को समझना था. सोशल मीडिया पर करवाए गए इस सर्वे में यह बात सामने आई कि आधे से ज्यादा भागीदारों को डर है कि उनका यूके में कोई भविष्य नहीं है. सीएए के प्रवक्ता जोनाथन सेसरडोटी बताते हैं, "एक ओर तो यूरोप के कई दूसरे देशों के मुकाबले ब्रिटेन में यहूदी लोग ज्यादा सुरक्षित हैं, लेकिन वे फ्रांस, बेल्जियम और यहां भी चल रही घटनाओं से वाकिफ हैं."
चिंता की बात
पेरिस में शार्ली एब्दॉ पर हमले के बाद जब आतंकियों ने कोशर सुपरमार्केट में लोगों को बंधक बनाया और चार लोगों को मार डाला, उससे भी यहूदी समुदाय में घबराहट बढ़ी है. लंदन के रहने वाले डेनियल कोहन बताते हैं, "मैंने खुद कभी एंटी-सिमेटिक भावनाएं नहीं झेली हैं. मगर मुझे लगने लगा है कि यह भावना बढ़ रही है." वह आगे बताते हैं, "यूरोप भर में हो रही घटनाएं चिंतित तो कर ही रही हैं. कट्टरपंथी इस्लाम के फैलाव को देखकर लगता है कि वैसा कुछ यूके में भी बड़ी आसानी से हो सकता है."
यहूदियों के लिए पूर्वाग्रह या शत्रुता रखने की बात पेरिस हमलों से पहले भी होती रही है. ब्रिटेन की दि कम्यूनिटी एंड सर्विसेज ट्रस्ट (सीएसटी) यहूदियों के खिलाफ होने वाले घृणात्मक अपराधों का लेखाजोखा रखती है. सीएसटी ने 2014 के पहले 6 महीनों में ही इन अपराधों में करीब 36 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की. खासतौर पर जब भी इस्राएल में तनाव बढ़ा उसका सीधा असर बढ़ती वारदातों के रूप में सामने आया. जुलाई 2014 में जब गाजा पर बमबारी हुई, उस समय ब्रिटेन में औसत से कहीं ज्यादा घृणात्मक अपराध के मामले दर्ज हुए.
सीएसटी के प्रवक्ता डेव रिच बताते हैं, "यह घबराहट एक सच्चाई है लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि आज भी एंटी-सिमेटिज्म उस तरह का या उस पैमाने का नहीं है जैसा फ्रांस और दूसरे यूरोपीय देशों में दिख रहा है. हम पुलिस और सरकार के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि ब्रिटिश यहूदी अपने को सुरक्षित महसूस करें और अपना जीवन गर्व और विश्वास के साथ बिता सकें."
इस्राएल से जोड़ा जाना
लंदन की सड़कों पर लोगों से बातचीत में यह भी सामने आता है कि कई लोग एंटी-सिमेटिज्म को भटकाने वाली बात मानते हैं. लंदन की रहने वाली एना सोलेमानी कहती हैं, "मुझे इस बात की कोई हैरानी नहीं कि लोग यहूदियों के बारे में ऐसी चीजें मानते हैं. कई लोगों को लगता है कि सभी चीजें यहूदी ही नियंत्रित कर रहे हैं." सोलेमानी आगे बताती है कि उन्हें इस बात कि ज्यादा चिंता है कि एंटी-सिमेटिज्म को लोग अब कोई मुद्दा ही नहीं मानते. उनकी धारणा है कि यहूदी लोग इसका इस्तेमाल लोगों को इस्राएल की आलोचना करने से रोकने के लिए करते हैं.
कई लोग सीएए में सामने आए यहूदियों की इस सोच पर सवाल खड़े कर रहे हैं कि ज्यादातर यहूदी ब्रिटेन में अपना भविष्य नहीं देखते. सीएए के प्रवक्ता सेसरडोटी सफाई देते हैं कि सर्वे पूरे यहूदी समाज की बात नहीं कर सकता. लंदन में रहने वाले यहूदी कोहेन कहते हैं, "कम से कम मैं तो ऐसा नहीं कहूंगा कि मैं जल्दी ही यूके छोड़ कर कहीं और जाने की तैयारी में हूं." सीएसटी के रिच कहते हैं, "इन अध्ययनों से पता चता है कि ब्रिटेन में कुछ अल्पसंख्यक अड़ियल किस्म के लोग हैं जो अब भी एंटी-सिमेटिज्म की घिसीपिटी धारणा से चिपके हुए हैं. सबके लिए ये ज्यादा जरूरी है कि ऐसी सोच को मिल कर मिटाने की कोशिश करें और विविधताओं से भरे लेकिन एक दूसरे से जोड़ने वाले सहनशील समाज का निर्माण करें."
समीरा शैकल/आरआर