ब्लैकलिस्ट वाली बैठक से पहले सईद को सजा
१३ फ़रवरी २०२०पाकिस्तानी नागरिक हाफिज सईद को भारत और अमेरिका 2008 के मुंबई हमलों का मास्टमाइंड बताते आए हैं. लेकिन यह पहला मामला है जब पाकिस्तान में इस्लामिक संगठन के हाई प्रोफाइल नेता को आतंकवादी गतिविधि के चलते सजा सुनाई गई है. बुधवार को लाहौर की आतंकवाद रोधी अदालत के फैसले के बाद सरकारी अभियोजक अब्दुल रऊफ वातो ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "हाफिज सईद और उनके दो करीबी सहयोगियों को आतंकवाद की फाइनेंसिंग के दो मामलों में सजा सुनाई गई है."
सईद का बचाव कर रहे वकील इमरान गिल ने कहा, "दोनों मामलों में कुल सजा 11 साल की है लेकिन वह जेल में साढ़े पांच साल ही रहेंगे क्योंकि दोनों सजाएं एक साथ काटी जाएंगी. हम फैसले के खिलाफ अपील करेंगे."
सईद को सजा, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक से ठीक पहले सुनाई गई है. FATF की बैठक अगले हफ्ते होने वाली है. मीटिंग में इस बात का फैसला होगा कि क्या आतंकवाद की वित्तीय मदद रोकने के मामले में पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट किया जाए या नहीं.
पाकिस्तान जून 2018 से FATF की ग्रे लिस्ट में हैं. ग्रे लिस्ट का मतलब है कि उसकी निगरानी हो रही है. पाकिस्तान को ठोस कार्रवाई करने के लिए फरवरी 2020 तक का समय दिया गया था. माना जा रहा है कि इसी दबाव के चलते ही दिसंबर 2019 में पाकिस्तान ने सईद के उग्रवादी गुटों के खिलाफ कदम उठाने शुरू किए. सईद, लश्कर ए तैयबा का संस्थापक और जमात उद दावा का प्रमुख है. संयुक्त राष्ट्र ने लश्कर ए तैयबा को आतंकवादी संगठन घोषित किया है.
भारत और अमेरिका, लश्कर ए तैयबा को 2008 के मुंबई हमलों का जिम्मेदार मानते हैं. चार दिन तक चले उस आतंकी हमले में कई विदेशियों समेत 160 लोग मारे गए. सईद को सजा सुनाए जाने के फैसले की तारीफ करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने ट्वीटर पर एक बयान जारी कर कहा, "सईद और उसके साथियों का अपराध सिद्ध होना, आगे बढ़ने की राह में एक अहम कदम है- यह एलईटी (लश्कर) को उसके अपराधों के लिए जिम्मेदार ठहराता है और आतंकवाद की वित्तीय मदद रोकने की अंतरराष्ट्रीय वचनबद्धता में पाकिस्तान की हिस्सेदारी दिखाता है."
हाफिज सईद इन आरोपों से इनकार करता है. सईद के नेटवर्क में पाकिस्तान में करीब 300 मदरसे, स्कूल, अस्पताल, पब्लिशिंग हाउस और एंबुलेंस सेवाएं चलाता है. नेटवर्क को जमात उद दावा और फलह ए इंसानियत फाउंडेशन से वित्तीय मदद मिलती है. ये दोनों संगठन बड़ी मात्रा में चंदा जुटाते हैं. यह चंदा कैसे आता है और कहां जाता है, यह जांच का अहम बिंदु है.
यूएन सिक्योरिटी काउंसिल 10 दिसंबर 2008 को ही सईद का नाम आतंकवादियों की सूची में डाल चुका था. सिक्योरिटी काउंसिल के मुताबिक लश्कर ए तैयबा के चीफ सईद के अल कायदा से भी रिश्ते हैं. सईद, दोनों संगठनों के लिए पैसा जुटाने, योजना बनाने और कार्रवाई को अंजाम देने का काम करता रहा है. सिक्योरिटी काउंसिल की वेबसाइट पर सईद के बारे में जो जानकारी है, उसके मुताबिक 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में सईद ने अफगानिस्तान जाकर उग्रवाद की ट्रेनिंग ली. इस दौरान वह डॉक्टर अब्दुल आजम के संपर्क में आया. आजम, ओसामा बिन लादेन समेत कई आतंकियों का मार्गदर्शक था. 1980 के दशक के बाद से सईद लगातार आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहा.
अमेरिका और भारत के दबाव के बीच पाकिस्तान ने 2008 के बाद सईद को कई बार गिरफ्तार और रिहा किया. इस दौरान सईद ने पाकिस्तान की राजनीति में कट्टरपंथी संगठनों को घोलने की कोशिश भी की. 2018 में सईद की अगुवाई में मिल्ली मुस्लिम लीग ने आम चुनाव लड़ा. पार्टी कोई भी सीट नहीं जीत सकी.
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बीते कुछ सालों से बेहद खराब हो चली है. देश को अंतरराष्ट्रीय मदद की जरूरत है. लेकिन दूसरे देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से आसानी से मदद पाने के लिए पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना होगा. ब्लैकलिस्ट होते ही यह मुश्किलें और दुश्वार हो जाएंगी. फिलहाल FATF की ब्लैकलिस्ट में उत्तर कोरिया और ईरान शामिल हैं.
ओएसजे/आईबी (एएफपी, रॉयटर्स)
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