भारत अमेरिकी दोस्ती से बौखलाया चीन
१२ फ़रवरी २०११सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की आधिकारिक पत्रिका क्वीशी जनरल में छपे लेख में कहा गया है कि चीन को जंग की शुरूआत न करने के अपने मूल सिद्धांत पर कायम रहते हुए जवाबी हमले के लिए तैयार रहना चाहिए. लेख में कहा गया है, "हमें अपने पड़ोसी देशों को ये साफ संकेत दे देना चाहिए कि हम जंग से नहीं डरते, और हम किसी भी वक्त अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए जंग लड़ने को तैयार हैं." पार्टी ने सरकार को सलाह दी है कि क्षेत्र में बढ़ते अमेरिकी सहयोगियों के खिलाफ आक्रामक रणनीति बनानी चाहिए.
लेख में कहा गया है नए चीन के पूरे इतिहास में चीन में शांति कभी भी केवल सहयोग से नहीं आई बल्कि जंग से आई है. राष्ट्रीय हितों की रक्षा बातचीत से नहीं बल्कि जंग से होती है. खासतौर से ये बर्दाश्त के बाहर है कि अमेरिका चीन के पड़ोसी देशों को उसके खिलाफ अंधाधुंध बढ़ावा दे रहा है. हम केवल अमेरिका को ही दोषी नहीं मानते. ये लोग अमेरिका का इस्तेमाल कर फायदा उठाने की कोशिश में हैं." इस लेख के मुताबिक जापान, भारत, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, फिलिपींस, इंडोनेशिया और कोरिया चीन के खिलाफ गुट बना रहे हैं क्योंकि इन देशों की या तो चीन से लड़ाई है या फिर हितों का टकराव है.
इस लेख में चीनी सरकार को सलाह दी गई है कि चीन को अपने पड़ोसियों पर लगाम लगाने में अपनी अपनी अर्थव्यवस्था और कारोबार का इस्तेमाल करना चाहिए. लेख में छपा है," अंतरराष्ट्रीय कारोबार की जितनी जरूरत चीन को है उससे कहीं ज्यादा उसके पड़ोसी देशों को. चीन के कारोबार को होने वाला घाटा इन देशों की वजह से है."
लेख में अमेरिका पर आरोप लगाया गया है कि चीन को रोकने के लिए एक साथ कई रणनीतियों पर काम किया है जिनमें सैन्य अभ्यास के अलावा, मुद्रा विनिमय दर, विचारधारा के रूप में उस पर हमले किए गए हैं. इसमें कहा गया है कि चीन अपने स्तर पर आर्थिक जंग की शुरुआत डॉलर पर शिकंजा कस के कर सकता है. इसके लिए आईएमएफ का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा मजबूत अंतरिक्ष हथियारों का निर्माण कर अंतरिक्ष में भी जंग की शुरुआत की जा सकती है.
इतना ही नहीं अमेरिकी रणनीति का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के सहयोगी पड़ोसी देशों पर हमला करने और अमेरिका के खिलाफ लातिन अमेरिका और अफ्रीकी देशों के सात मिल कर गुट बनाने की भी बात कही गई है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह