सैन्य खर्च में पहली बार दो एशियाई देश चोटी पर
२७ अप्रैल २०२०विश्व के इतिहास में पहली बार भारत और चीन दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले चोटी के तीन देशों की सूची में शामिल हो गए हैं. सैन्य खर्च की यह रिपोर्ट स्टॉकहॉम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) ने बनाई है. ऐसा पहली बार हुआ है जब रिपोर्ट में सबसे ज्यादा सैन्य खर्च वाले तीन देशों में दो देश एशिया के ही हैं. अनुमान है कि 2019 में भारत का सैन्य खर्च लगभग 71 अरब डॉलर रहा, जो 2018 में किए गए खर्च से 6.8 प्रतिशत ज्यादा था.
भारत सूची में तीसरे नंबर पर है. दूसरे नंबर पर है चीन जिसने अनुमानित 261 अरब डॉलर खर्च किए, जो 2018 में किए गए खर्च से 5.1 प्रतिशत ज्यादा था. पहला स्थान अमेरिका का है, जिसने अनुमानित 732 अरब डॉलर खर्च किए. यह 2018 में अमेरिका द्वारा किए गए खर्च से 5.3 प्रतिशत ज्यादा है और पूरी दुनिये में हुए खर्च के 38 प्रतिशत के बराबर है. 2019 अमेरिका के सैन्य खर्च में वृद्धि का लगातार दूसरा साल रहा. इसके पहले, सात साल तक अमेरिका के सैन्य खर्च में गिरावट देखी गई थी.
कुल मिला कर पूरी दुनिया के देशों ने अपनी अपनी सैन्य जरूरतों पर खर्च करने में 2019 में जितनी वृद्धि की, वो पिछले एक दशक में सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी. 2019 में सभी देशों ने कुल मिला कर 1,900 अरब डॉलर सैन्य खर्च किए, जो 2018 में किए गए खर्च से 3.6 प्रतिशत अधिक था. एसआईपीआरआई में काम करने वाले रिसर्चर नान तिआन ने बताया, "शीत युद्ध के खत्म होने के बाद सैन्य खर्च का यह चरम है."
पिछले 25 सालों में चीन का खर्च उसकी अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ ही बढ़ा है. उसका निवेश उसकी एक "विश्व स्तर की सेना" की महत्वाकांक्षा दर्शाता है. तिआन का कहना है, "चीन ने खुल कर कहा है कि वो दरअसल एक सैन्य महाशक्ति के रूप में अमेरिका के साथ प्रतियोगिता करना चाहता है." चीन के उदय से आंशिक रूप से भारत का उदय भी समझ में आता है. एसआईपीआरआई के ही एक और रिसर्चर सीमोन वेजेमान ने एक वक्तव्य में कहा, "भारत का पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ तनाव और झगड़ा उसके बड़े हुए सैन्य खर्च के मुख्य कारणों में से है."
पांच सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देशों में अमेरिका, चीन और भारत के बाद रूस और सऊदी अरब का नंबर है. इन पांचों देशों का सैन्य खर्च पूरे विश्व में होने वाले खर्च के 60 प्रतिशत के बराबर है. एसआईपीआरआई के अनुसार, ध्यान देने लायक अन्य देशों में जर्मनी भी शामिल है, जिसने 2019 में अपना सैन्य खर्च 10 प्रतिशत बढ़ा कर 49.3 अरब डॉलर कर लिया. सबसे ज्यादा खर्च करने वाले 15 देशों में प्रतिशत के हिसाब से यह सबसे बड़ी वृद्धि है.
रिपोर्ट के लेखकों के अनुसार, जर्मनी के सैन्य खर्च में वृद्धि की आंशिक वजह रूस से खतरे की अनुभूति हो सकती है. तिआन के अनुसार, "पिछले कुछ सालों में सैन्य खर्च में बढ़ोतरी की गति बढ़ गई है, कोरोना वायरस महामारी और उसके आर्थिक असर की वजह से यह तस्वीर पलट भी सकती है. दुनिया एक वैश्विक मंदी की तरफ बढ़ रही है और तिआन का कहना है कि सरकारों को सैन्य खर्च को स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च की जरूरतों के सामने रख कर देखना होगा.
तिआन ने कहा, "इसका असर सैन्य खर्च पर होने की काफी संभावना है." हालांकि, तिआन ने कहा, "आंकड़ों का इतिहास देख कर यह कहा जा सकता है कि सैन्य खर्च में अगर गिरावट हुई भी तो वो ज्यादा दिन नहीं चलेगी. उन्होंने 2008 के वित्तीय संकट की याद दिलाई, जब उसके बाद कुछ सालों तक सैन्य खर्च में गिरावट देखने को मिली, विशेष रूप से यूरोपीय देशों के खर्च कम करने के कदमों में. तिआन कहते हैं, "हो सकता है एक साल से ले कर तीन साल तक खर्चों में कटौती हो, लेकिन उसके बाद के सालों में फिर से वृद्धि होगी."
सीके/एए (एएफपी)
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