भारत का पहला एलजीबीटी+ बराबरी सूचकांक
११ दिसम्बर २०२०गुरूवार 10 दिसंबर को शुरू किए गए इस सूचकांक में दो भारतीय कंपनियों गोदरेज समूह और हिंदुस्तान यूनिलीवर को एलजीबीटी+ लोगों के लिए सबसे अच्छे एम्प्लॉयर के खिताब से नवाजा गया. सूचकांक की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिक सेक्स को कानूनी वैधता देने के दो साल बाद हुई है. 19 और कंपनियों ने स्वर्ण पुरस्कार जीते, लेकिन वे सब माइक्रोसॉफ्ट और एक्सेंचर जैसी विदेशी कंपनियां हैं.
इन्हें पुरस्कार जेंडर न्यूट्रल बाथरूम और समलैंगिक पार्टनरों के लिए स्वास्थ्य बीमा जैसी एलजीबीटी+ समावेशी नीतियां लागू करने के लिए दिए गए हैं. जीतने वाली कंपनियों में भी हिंदुस्तान यूनिलीवर ब्रिटिश कंपनी की भारतीय सब्सिडियरी कंपनी है. सूचकांक के शुरू होने के मौके पर गोदरेज इंडिया कल्चर लैब के मुखिया परमेश शहानी ने कहा, "भारत में हम सब समावेश की इस यात्रा के शुरूआती चरणों में हैं."
उनकी लैब गोदरेज समूह का एक हिस्सा है और विविधतापूर्ण सोच को प्रोत्साहन देने वाले कार्यक्रम आयोजित करती है. शहानी ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, "मुझे खुशी है कि इस यात्रा में साथ आगे बढ़ने के लिए इतनी कंपनियां सामने आ रही हैं, एक दूसरे से सीख रही हैं और सबसे अच्छे कदम एक दूसरे के साथ साझा भी कर रही हैं ताकि हम सब एक दूसरे को और भी कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित कर सकें."
पुरस्कार जीतने वाली 52 कंपनियों के इस सूचकांक में 67 प्रतिशत कंपनियां अंतरराष्ट्रीय हैं, 17 प्रतिशत भारतीय हैं और बाकियों ने अनाम रहना चुना. टाटा स्टील समेत चार कंपनियों को रजत पुरस्कार दिया गया. पितृत्व अवकाश को 'नवजात अभिभावक अवकाश' नाम दे कर उसे समलैंगिक, ट्रांस और अकेले पुरुष अभिभावकों के लिए लागू करने के लिए टाटा स्टील की सराहना की गई.
सूचकांक को ब्रिटिश एलजीबीटी+ एडवोकेसी समूह स्टोनवॉल, भारत के केशव सूरी फाउंडेशन और एलजीबीटी+ समावेशी कंसल्टेंसी कंपनी प्राइड सर्किल ने मिल कर शुरू किया है. इसकी शुरुआत सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिक सेक्स पर बन वाले कानून को 2018 में निरस्त करने के बाद की गई.
रिसर्च से पता चला है कि एलजीबीटी प्लस लोगों के लिए बराबरी को प्रोत्साहित करने वाली कंपनियों में कर्मचारियों की भर्ती, उन्हें कंपनी के साथ बनाए रखना, उपभोगताओं के बीच कंपनी की छवि, उत्पादकता और लाभदायिकता सब बेहतर होती हैं. उद्योग जगत के संगठन फिक्की के महासचिव दिलीप चेनॉय ने और भी भारतीय कंपनियों को कहा कि वे भी अगले साल सूचकांक में हिस्सा लें क्योंकि इससे "विविधता और समावेश की तरफ बढ़ने में सहायता होगी."
सीके/एए (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
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