भारत का भला करते रहेंगे: पीएम
२९ सितम्बर २०१२मनमोहन सिंह का कहना है कि ताजे फैसले का अमेरिका से कुछ लेना देना नहीं है और यह निर्णय भारत के भले के लिए किया गया है. उन्होंने कहा, “हम वही करेंगे, जो देश के लिए अच्छा होगा. सुधार एक बार करने वाली चीज नहीं है.”
भारतीय प्रधानमंत्री से जब यह पूछा गया कि क्या दबाव को देखते हुए वह मल्टीब्रांड वाले रिटेल सेक्टर में एफडीआई और डीजल के बढ़े हुए दामों को वापस लेने का विचार कर सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है. वह भारत के नए मुख्य न्यायाधीश अल्तमश कबीर के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा ले रहे थे.
इससे पहले इसी हफ्ते यूपीए ने इस निर्णय पर चर्चा की है और सरकार को इसका समर्थन देने का इरादा जाहिर किया है. यूपीए की प्रमुख घटक तृणमूल कांग्रेस इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से अलग हो चुकी है. इसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार आंकड़ों के लिहाज से कमजोर होती दिख रही है लेकिन उसे बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का बाहर से समर्थन हासिल है.
प्रधानमंत्री से जब यह पूछा गया कि कुछ लोग कह रहे हैं कि अमेरिका को खुश करने के लिए सरकार ने एफडीआई का फैसला किया है, तो सिंह ने कहा, “इसका अमेरिका से क्या लेना देना है. हमारा देश किसी और मुल्क के कहने पर काम नहीं करता.”
भारत सरकार ने पिछले साल भी रिटेल सेक्टर में विदेशी निवेश को मंजूरी देने का फैसला किया था लेकिन विपक्षी पार्टी और यूपीए के घटक दलों के विरोध को देखते हुए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. फिर पिछले दिनों एक बार फिर इस मुद्दे को उठाया गया और सरकार ने साफ किया है कि वह अब इस फैसले से पीछे नहीं हटने वाली है.
इस मुद्दे पर राजनीति गर्माने और तृणमूल कांग्रेस के साथ छोड़ देने के बाद भी कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार इसे आगे बढ़ाना चाहती है. इस फैसले के अमल में आने के साथ प्रमुख विदेशी रिटेल दुकानें भारत में खुल सकेंगी. इसके अलावा भारत सरकार ने विमानन में भी विदेशी निवेश की अनुमति दे दी है, जिसके बाद विदेशी एयरलाइन कंपनियां भारत में अपने विमान चला सकेंगी.
इन फैसलों पर उठे राजनीतिक तूफान के बाद भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले हफ्ते राष्ट्र के नाम टीवी संदेश में इन फैसलों का बचाव किया और कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और कुछ कड़े फैसले करने का समय आ गया है. सिंह ने मौजूदा हालात को 1991 की आर्थिक स्थिति से तुलना करते हुए कहा कि उस वक्त भी कुछ फैसलों पर सवाल उठे थे लेकिन उस वक्त वित्त मंत्री की हैसियत से उन्होंने जो निर्णय किए, उसका अच्छा नतीजा निकला.
एजेए/एएम (पीटीआई)