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भारत में नोटबंदी के बाद नोटों का चलन पहले से अधिक बढ़ा है.

१४ नवम्बर २०१९

शहरों और ग्रामीण इलाकों में एटीएम के रख रखाव लागत बढ़ी है. गांवों में लोग डिजिटल पेमेंट की जगह नकद इस्तेमाल कर रहे हैं.

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Indische Rupie Geldschein
तस्वीर: Fotolia/Marzky Ragsac Jr.

भारत में बड़ी संख्या में इंटरनेट और मोबाइल यूजर होने के बावजूद नकदी पर निर्भरता डिजिटल भुगतान की ओर जाने की प्रक्रिया को सुस्त कर सकता है. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बहुत से लोगों के लिए आज भी कैश ही किंग है, क्योंकि सुविधा की कमी के कारण लोग रोजमर्रा के काम में नकदी का इस्तेमाल कर रहे हैं. महाराष्ट्र के सतारा जिले के किसान सुधीर शिंदे कहते हैं कि वे अपने बैंक से जरुरत से ज्यादा नकदी निकास करते हैं क्योंकि उनके गांव में मौजूद एटीएम महीनों से खराब है.

37 साल के गन्ना किसान शिंदे कहते हैं, "अगर मुझे तत्काल पैसे की जरुरत पड़ती है तो मुझे इसके लिए 32 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ेगा. यह हर वक्त संभव नहीं है. मैं हमेशा अपने हाथ में नकदी रखता हूं, यह सोचकर कि इसकी कहीं कभी भी जरुरत पड़ सकती है. परिवार से जुड़ी जरुरत, अस्पताल का खर्च या किसी और अचानक के काम के लिए."

Indien Aadhar Card biometrische Personen-Indentifizierung
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/R. Shukla

डिजिटल इंडिया का सपना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में एक झटके में एक हजार और पांच सौ के बड़े नोट प्रचलन से बाहर कर दिए थे. उन्होंने इसका कारण भ्रष्टाचार पर आघात और कालेधन पर प्रहार बताया था. नोटबंदी के कारण 500 और 1,000 के नोट बाजार से हट गए और मोदी ने कहा कि इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. अवैध रूप से इकट्ठा किए धन उजागर होंगे और नकद का इस्तेमाल कम होगा. हालांकि बैंकों में 99.3 फीसदी पुराने नोट वापस लौट आए और बहुत मामूली हिस्सा ही सिस्टम में नहीं लौटा. नोटबंदी के समय मूल्य के हिसाब से 500 और 1,000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. आरबीआई की एक रिपोर्ट कहती है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों के पास वापस आ गए और बंद किए गए नोटों में सिर्फ 10,720 करोड़ रुपये ही बैंकों के पास वापस नहीं  लौटे.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Gupta

नकदी ही चाहिए

नोटबंदी का एक प्रमुख उद्देश्य नकद के इस्तेमाल को हतोत्साहित करना था लेकिन आर्थिक विकास दर में गिरावट के बावजूद  भारत में नोट के इस्तेमाल का चलन तेजी से बढ़ा है. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी के बाद नोटों के चलन में बढ़ोतरी हुई है. मार्च 2019 के अंत तक नकदी 17 फीसदी बढ़कर 21.1 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई. नोटबंदी के पहले 17.74 लाख करोड़ मुद्रा ही चलन में थी.

आरबीआई का कहना है कि डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए उसने अत्याधुनिक भुगतान प्रणाली को विकसित किया है जो कि कुशल, सुविधाजनक और सुरक्षित है. आरीबीआई का कहना है कि इसके परिणामस्वरूप खुदरा डिजिटल भुगतान में तेजी से वृद्धि हुई है. आरबीआई ने कहा है कि ई-पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए वह पार्किंग, पेट्रोल पंप और टोल शुल्क के लिए डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित कर रहा है. आरबीआई ने बैंकों से नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) करने पर ग्राहकों से शुल्क ना वसूलने को कहा है, इस सुविधा के लिए अब एक जनवरी 2020 से कोई शुल्क लागू नहीं होगा.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक ब्रिक्स देशों में भारत में प्रति एक लाख व्यक्ति पर सबसे कम एटीएम है. जानकारों के मुताबिक एटीएम संचालन की लागत बढ़ी है और इस बीच सॉफ्टवेयर भी महंगा हुआ है. साथ ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के बीच फासला भी डिजिटल भुगतान की तरफ बढ़ने को प्रभावित कर रहा है. 

एए/एनआर (रॉयटर्स)

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