भारत चीन सैन्य संबंधों में कश्मीर की गांठ
२५ अक्टूबर २०१०जल्द ही भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ हनोई में मिलने वाले हैं. दोनों नेताओं की इस बातचीत में कश्मीरी लोगों के वीजा मुद्दे के साथ साथ सीमा विवाद पर बात हो सकती है. जम्मू कश्मीर को लेकर चीन के रुख में आए हालिया बदलाव से भारत खासा चिंतित है और अपनी चिंताओं से वह चीन सरकार को अवगत भी करा चुका है. लेकिन उसका कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है.
कुछ दिनों पहले ही चीन ने भारत के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जायसवाल को यह कहते हुए वीजा देने से इनकार कर दिया कि वह 'बेहद संवेदनशील' जम्मू कश्मीर में तैनात हैं. चीन जायसवाल को भी पासपोर्ट की बजाय अलग कागज पर वीजा देना चाहता था.
इस बात से नाराज हो कर भारत ने उस उच्च सैन्य आदान प्रदान पर रोक लगा दी जिसके तहत जायसवाल चीन जाने वाले थे. चीन इस आदान प्रदान को बहाल करने की इच्छा जता चुका है, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि जब तक इस तरह के मुद्दे सुलझ नहीं जाते, यह रोक जारी रहेगी. सूत्रों का कहना है, "यह गांठ चीन ने ही लगाई है और इसे खोलना भी चीन हो ही पड़ेगा. देखते हैं कि यह कैसे होता है."
वैसे भारत चीन के साथ हर तरह का सैन्य आदान प्रदान चाहता है. लेकिन यह भी साफ है कि जब तक चीन अपना रुख साफ नहीं कर देता, सैन्य आदान प्रदान को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता. सूत्रों का कहना है कि सैन्य आदान प्रदान भले ही बंद हो लेकिन सीमा पर निचले स्तर की बैठकों जैसे सैन्य संवाद जारी हैं. लेकिन जम्मू कश्मीर पर चीन के रुख में बदलाव की झलक पाकिस्तानी कश्मीर में चीनी सेना की बढ़ती गतिविधियों में भी दिखाई देती है. भारत इस बारे में भी अपना विरोध जता चुका है. वैसे सूत्रों का कहना है कि चीन अपने रुख में बदलाव से इनकार करता है.
सीमा विवाद पर दोनों देशों के प्रतिनिधियों की जल्द ही मुलाकात होनी है. बताया जाता है कि हनोई में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात के बाद इस बैठक की तारीख तय की जा सकती है. शुक्रवार को आसियान और पूर्व एशियाई देशों के सम्मेलन में मनमोहन सिंह वेन जियाबाओ से मुलाकात करेंगे. इस बैठक में दोतरफा संबंधों और खास कर आर्थिक संबंधों के साथ साथ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एमजी