भारत ने किया हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी का परीक्षण
७ सितम्बर २०२०ये परीक्षण भारत के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन डीआरडीओ ने किया है. यह व्हीकिल 6 मैक की रफ्तार हासिल करने और 20 सेकेंड में 32.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने में सक्षम है. डीआरडीओ नियमित रूप से टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकिल का परीक्षण करता रहता है ताकि वह भविष्य की तकनीकों का प्रदर्शन कर सके. इन्हें डीआरडीओ के अन्य उत्पादों में इस्तेमाल किया जाता है.
भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आत्मनिर्भर भारत पर जोर दे रही है और इस सिलसिले में इस विकास को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस समय भारत सरकार बड़े पैमाने पर विदेशों से रक्षा उपकरण खरीद रही है, लेकिन वह इस क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर होना चाहती है. रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक लगा दी है ताकि रक्षा उत्पाद में देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाया जा सके.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ के इस कामयाब परीक्षण का स्वागत किया है. उन्होंने इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़े वैज्ञानिकों के साथ बात कर उन्हें बधाई दी. एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि इस सफलता के साथ अगले चरण में जाने के लिए सभी अहम प्रोद्योगिकियों को स्थापित कर लिया गया है.
हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकिल मानवरहित स्क्रैमजेट विमान है. भारत ने सबसे पहले 2019 में हाइपरसोनिक तकनीक का परीक्षण किया था. इस तकनीक का इस्तेमाल हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने के अलावा लंबी दूरी की मिसाइलों के प्रक्षेपण में किया जा सकता है. यह दोहरे उपयोग वाली प्रोद्योगिकी है और इसका इस्तेमाल असैनिक तौर पर भी किया जा सकता है. इस परीक्षण के साथ भारत उन देशों की सूची में आ गया है जहां यह प्रोद्योगिकी उपलब्ध है. इनमें अमेरिका, रूस और चीन शामिल हैं.
रिपोर्ट: महेश झा
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