भारत बनाएगा अगला गूगल
२० नवम्बर २०१३भारत में इंटरनेट की रफ्तार को सुस्त मानते हुए श्मिट कहते हैं कि आज भारत में इंटरनेट की वही स्थिति है जो 1994 के आसपास अमेरिका में थी, यानी गूगल के जन्म से करीब चार साल पहले. गूगल की कंसल्टिंग एजेंसी मैकिंजी की किताब "री-इमैजिनिंग इंडिया" में श्मिट का एक लेख छपा है, जिसमें उन्होंने भारत के बारे में अपनी राय रखी है. श्मिट का कहना है कि भारत को अपने शहरों और गांवों में अंदर तक इंटरनेट पहुंचाना होगा और इसका समाज और अर्थव्यवस्था पर बहुत अच्छा असर होगा.
गूगल के पूर्व सीईओ ने कहा कि भारत के रचनात्मक सामर्थ्य को वह सिलिकॉन वैली में चारों ओर देख चुके हैं, जहां शुरू हुए 40 फीसदी काम भारत में जन्मे लोगों ने किए हैं, "जरा सोचिए क्या होगा अगर भारत के आविष्कारक उद्यमी बिना अपना देश छोड़े वैश्विक कंपनी बनाने लगेंगे. वो दुनिया बदल देंगे. इंटरनेट को ध्यान में रख कर सैकड़ों कंपनियां बनेंगी और वो भारतीय ग्राहकों, भारतीय स्वाद और अंदाज, भारतीय खेलों का ध्यान रख कर सफलता हासिल करेंगी. तो क्या इन्हीं में से कोई अगला गूगल भी बन जाएगा? निश्चय ही." श्मिट का कहना है, "यह अगले कुछ सालों में नहीं होगा लेकिन अगर भारत ने अपने पत्ते सही खेले तो हम जल्दी ही भारतीय इंजीनियरों और छोटे कारोबारियों को पहले भारत की समस्या और फिर समाधान को विदेशों में भेजते देखेंगे जहां उनका बेहतरीन इस्तेमाल होगा."
करीब 1.2 अरब की आबादी वाले भारत में 60 करोड़ लोग मोबाइल फोन इस्तेमाल करते हैं लेकिन नियमित रूप से इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोग महज 15 करोड़ हैं. 2011 में भारत के लोगों तक इंटरनेट पहुंच की दर 11 फीसदी थी जो विकसित देशों में 70 फीसदी की दर से बहुत कम है. पड़ोसी देश चीन के 38 फीसदी की तुलना में भी देखें तो यह महज एक तिहाई है जबकि दूसरे विकासशील देशों के औसतन 24 फीसदी दर की तुलना में यह आधे से भी कम है.
भारत में ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या तो और भी कम है. विशाल आबादी वाले देश में महज दो करोड़ लोग ब्रॉडबैंड का इस्तेमाल कर रहे हैं. श्मिट ने कहा है, "किसी भी उचित परिभाषा की नजर से देखें तो भारत में इंटरनेट धीमा है. दुनिया में बेहतरीन और शीर्ष आईटी और सॉफ्टवेयर तैयार करने वाली जगह होने के बावजूद यह जुड़ा हुआ समाज नहीं है जैसा कि बाहर के लोग सोचते हैं." श्मिट ने इसके साथ ही कहा है कि भारत कनेक्टिविटी की क्रांति की कगार पर है. वह मानते हैं कि कनेक्टिविटी की मौजूदा चुनौती से निपटा जा सकता है अगर अगले 5-10 साल में भारत अपने नागरिकों तक इंटरनेट की पहुंच की दर 60 से 70 फीसदी तक ले जाए.
श्मिट के मुताबिक भारत अगर अपने 50 करोड़ लोगों को इंटरनेट से जोड़ लेता है तो यह देश दुनिया में इंटरनेट का सबसे बड़ा खुला बाजार होगा, "मैं भविष्यवाणी करता हूं कि अगले 10 सालों में भारत के किसी बच्चे के लिए यह सोचना मुश्किल हो जाएगा कि इंटरनेट के बगैर दुनिया कैसी रही होगी. लेकिन इसे पूरा करने के लिए भारत को सही तकनीक का विकल्प चुनना होगा."
एनआर/एजेए (पीटीआई)