भारत में एमनेस्टी के दफ्तर पर छापा
२६ अक्टूबर २०१८ईडी का कहना है कि विदेशी फंडिंग में हेरफेर जैसे आरोपों के चलते यह कार्रवाई की गई है. ईडी ने अपने बयान में कहा है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने विदेशी फंडिंग नियमों का उल्लघंन करते हुए 36 करोड़ रुपये हासिल किए हैं. वहीं एमनेस्टी का कहना है कि भारत सरकार मानवाधिकार संस्थाओं के भीतर डर पैदा करना चाहती है. संस्था ने ट्वीट कर कहा, "ईडी के ये छापे सरकार का मानवाधिकार संस्थाओं को परेशान करने वाला रवैया दिखाते हैं. यह बात बिल्कुल साफ है कि सरकार ऐसी संस्थाओं में डर पैदा करना चाहती है."
ईडी वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संस्था है. एमनेस्टी से पहले ईडी ने पर्यावरण मुद्दों पर काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस के बेंगलुरु ऑफिस में 11 अक्टूबर को छापे मारे थे. 2015 में ग्रीनपीस के बैंक खाते भी सील कर दिए गए थे. भारत में एमनेस्टी की प्रवक्ता स्मृति सिंह ने कहा, "संस्था को अभी किसी सामान जब्त होने के बारे में कोई जानकारी नहीं है, फिलहाल वह पूरी घटना का आकलन कर रही है."
एमनेस्टी इंटरनेशनल, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही एनडीए सरकार की मुखर आलोचक रही है. संस्था, कश्मीर मुद्दे से लेकर मध्य भारत में नक्सलवादियों के खिलाफ उठाए गए सरकारी कदमों की आलोचना करता रहा है. इसके पहले 2014 में सत्ता संभालने के फौरन बाद ही भारत की दक्षिणपंथी सरकार ने विदेशी गैरसरकारी संस्थाओं (एनजीओ) के खिलाफ कड़े कदम उठाए थे. उस वक्त गैरकानूनी ढंग से विदेशी फंड पाने के आरोप में तकरीबन 10 हजार एनजीओ बंद कर दिए गए थे.
2014 में सरकारी खुफिया एजेंसियों ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि ये एनजीओ, विदेशी ताकतों के साथ मिलकर भारत की आर्थिक वृद्धि में रोड़ा पैदा करना चाहते हैं. प्रधानमंत्री मोदी भी विदेशी फंडों से चलने वाले एनजीओ की आलोचना करते रहे हैं. मोदी इन्हें फाइव स्टार एक्टिविस्ट कहते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट में कहा है, "राघव बहल, ग्रीनपीस और अब एमनेस्टी इंटरनेशनल. मोदी सरकार आईटी, ईडी और सीबीआई जैसी संस्थाओं का इस्तेमाल अपने आलोचकों के खिलाफ करेगी. हमने भारत में कभी इन संस्थाओं का ऐसा दुरुपयोग नहीं देखा है."
एमनेस्टी इंटरनेशनल का मुख्यालय लंदन में हैं.
एए/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)