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क्यों होता है भारत में प्याज का संकट

चारु कार्तिकेय
२३ सितम्बर २०२०

प्याज के बढ़ते दामों को देखते हुए उसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के कदम की आलोचना की जा रही है. किसान नाराज हैं कि सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा कर उनके मुनाफे के रास्ते बंद कर दिए.

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Indien | Zwiebeln auf einem Markt in Kalkutta
तस्वीर: picture alliance/Xinhua News Agency/T. Mondal

दरअसल कई कारणों की वजह से सितंबर की शुरुआत में प्याज के दाम अगस्त के मुकाबले दोगुना से भी ज्यादा हो गए. महाराष्ट्र के लासलगांव में देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी में जहां अगस्त में प्याज के थोक दाम 12 रुपये किलो के आस पास थे, वहीं सितंबर की शुरुआत में दाम 29 रुपये हो गए थे. अमूमन खुदरा बाजार में प्याज थोक से दोगने दाम में बिकता है.

तो थोक मंडियों में दाम बढ़ते ही प्याज दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे शहरों में 20 से 25 रुपये किलो के मुकाबले 50 से 60 रुपये किलो के भाव बिकने लगा. प्याज व्यापारी अनुमान लगाने लगे कि अगर दाम इसी रफ्तार से बढ़ते रहे तो जल्द ही आम लोगों के लिए प्याज के दाम 100 रुपये किलो तक पहुंच जाएंगे.

क्यों बढ़े दाम

जानकारों का कहना है कि सबसे पहले तो आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में भारी बारिश की वजह से जुलाई से सितंबर में अलग अलग राज्यों में भेजी जाने वाली प्याज की खरीफ की फसल का नुकसान हुआ. उसके अलावा गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में रबी की फसल का जो भंडार पड़ा हुआ था उस पर भी बारिश का असर पड़ा. इससे मंडियों में प्याज की आपूर्ति में कमी हो गई जिसकी वजह से दाम बढ़ गए.

Zwiebeln Indien Markt Flash-Galerie
हर साल एक सीजन में प्याज की पैदावार इतनी हो जाती है कि दाम बहुत ही नीचे गिर जाते हैं लेकिन अगले सीजन में आपूर्ति की कमी हो जाती है और दाम बढ़ जाते हैं.तस्वीर: AP

अगस्त की भारी बारिश की वजह से कई जगहों पर भंडारण किए हुए प्याज में नमी आ गई और वो खराब हो गए. अनुमान है कि महाराष्ट्र में 35 से 50 प्रतिशत भंडारण किए हुए प्याज इसी तरह खराब हो गए. जो प्याज आ भी रहा है उसकी गुणवत्ता अच्छी नहीं है. बताया जा रहा है कि दिल्ली की आजादपुर मंडी में जहां रोजाना 250-300 टन उच्च स्तर का प्याज आता था, वहीं पिछले कुछ हफ्तों से रोजाना सिर्फ 50 से 70 टन ही आ रहा है. कुल मिलाकर इन सभी कारणों की वजह से दाम लगातार बढ़ते जा रहे थे.

सरकार का हस्तक्षेप

ऐसा हर साल होता है. एक सीजन में पैदावार इतनी हो जाती है कि दाम बहुत ही नीचे गिर जाते हैं लेकिन अगले सीजन में आपूर्ति की कमी हो जाती है और दाम बढ़ जाते हैं. प्याज के दामों का असर राजनीति पर भी पड़ता है, क्योंकि उसके महंगा होते ही विपक्ष सरकार पर महंगाई बढ़ाने का आरोप लगाने लगता है. ऐसे में सरकार बाजार में हस्तक्षेप करती है और कई माध्यमों से कृत्रिम रूप से दाम को गिराने की कोशिश करती है.

2019 में भी ऐसा ही हुआ था. प्याज काफी महंगा हो गया था और दाम नीचे लाने के लिए सरकार ने थोक और खुदरा विक्रेताओं के लिए प्याज के भंडारण की सीमा तय कर दी और निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया. अब इस साल तो आवश्यक वस्तु कानून अधिनियम में बदलाव कर सरकार ने प्याज और अन्य वस्तुओं को उसकी परिधि से निकाल दिया है, जिसकी वजह से सरकार भंडारण सीमा तय नहीं कर सकती.

Indien Zwiebeln in Kalkutta
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्याज उगाने वाला देश है. 2019-20 में भारत ने अलग अलग देशों को कुल 11,49,896.85 मेगा टन प्याज का निर्यात किया था.तस्वीर: DW/S. Bandopadhyay

ऐसे में केंद्र सरकार ने 14 सितंबर को प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया. इस कदम से किसान इसलिए भी नाराज हैं क्योंकि यह आम साल नहीं है. कोविड-19 महामारी और तालाबंदी की वजह से किसान पहले ही चार-पांच महीनों तक नुकसान उठा चुके हैं. अब निर्यात की वजह से उन्हें अच्छे दाम मिलने की उम्मीद थी, तो सरकार ने उस पर प्रतिबंध लगा दिया.

इस विरोधाभास पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि एक तरफ तो सरकार मुक्त व्यापार व्यवस्था बनाने की बात कर रही है और दूसरी तरफ बाजार संबंधी गतिविधि में हस्तक्षेप भी कर रही है.

निर्यातक देशों में चिंता

प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगने से उन देशों को भी चिंता हो गई है जहां प्याज निर्यात होना था. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्याज उगाने वाला देश है और यहां पूरे साल प्याज उगाया जाता है. भारत से कई देशों को प्याज निर्यातित भी किया जाता है, जिनमें बांग्लादेश, मलेशिया, यूएई, श्रीलंका और नेपाल शामिल हैं. 2019-20 में भारत ने अलग अलग देशों को कुल 11,49,896.85 मेगा टन प्याज का निर्यात किया था, जिससे देश को 2,320.70 करोड़ रुपयों की कमाई भी हुई थी.

चूंकि प्याज जैसी कई वस्तुओं को सरकार ने जून में ही अध्यादेश के माध्यम से अपने नियंत्रण से मुक्त करने का संकेत दे दिया था, निर्यातकों ने बांग्लादेश, श्रीलंका, यूएई, सिंगापुर जैसे देशों से ऑर्डर भी ले लिए थे. बल्कि निर्यात के लिए भेजा जाने वाले प्याज देश के अलग अलग बंदरगाहों और बांग्लादेश सीमा पर तैयार खड़ा था. अब उस सारे माल के भंडार में पड़े पड़े बर्बाद हो जाने की आशंका है.

बताया जा रहा है कि इस कदम पर बांग्लादेश ने भारत से अपनी निराशा व्यक्त भी की है. अब मीडिया में आई कुछ खबरों में कहा जा रहा है कि जो भी माल निर्यात के लिए रास्ते में था या निर्यात के लिए तैयार था, उसे जाने दिया जाएगा. इससे शायद भारतीय किसानों और निर्यातक देशों को फौरी राहत मिले, लेकिन फिर भी यह एक ढांचागत समस्या है और इसको कोई गारंटी नहीं है कि समस्या फिर कुछ ही महीनों बाद दोबारा नहीं उठ खड़ी होगी.

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