भारत में रूसी वैक्सीन की 10 करोड़ डोज हर साल बनेगी
२७ नवम्बर २०२०इस समझौते के साथ आरडीआईएफ (रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड) अपनी वैक्सीन के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्माण की कोशिशों की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ गया है. स्पुतनिक वैक्सीन के ट्विटर अकाउंट से इस समझौते के बारे में एक ट्वीट किया गया है. हेटरो अगले साल की शुरुआत में इसका निर्माण चालू कर देगी.
स्पुतनिक की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल भारत में अब भी चल रहे हैं. हालांकि रूसी अधिकारियों ने इसे अगस्त में ही आधिकारिक मंजूरी दे दी है. इसके लिए मंजूरी की प्रक्रिया को थोड़ा तेज किया गया. इसकी सुरक्षा और गुणों का पता लगाने के लिए परीक्षणों का सिलसिला अब भी जारी है.
हेटरो में इंटरनेशनल मार्केटिंग के निदेशक बी मुरली कृष्णा रेड्डी का कहना है, "हम भारत में क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों का अभी इंतजार कर रहे हैं लेकिन हमारा मानना है कि मरीजों तक जल्दी पहुंचाने के लिए स्थानीय रूप से इसे बनाना जरूरी है." रेड्डी ने बताया कि यह समझौता भारतीय प्रधानमंत्री के मेक इंन इंडिया कार्यक्रम के उद्देश्यों को भी ध्यान में रख कर किया गया है.
भारत में कोविड-19 से संक्रमित लोगों की संख्या 9,027,000 को पार कर गई है, जो पूरी दुनिया में अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा है. यहां अब तक 1,35,000 लोगों की मौत हुई है. भारत की अर्थव्यवस्था पर भी इसका काफी बुरा असर हुआ है.
भारत में एक और दवा कंपनी डॉ रेड्डीज लैबरोटेरीज लिमिटेड भी स्पुतनिक के क्ल्निकल ट्रायल कर रही है. उसका कहना है कि वह मार्च 2021 तक बाद के चरणों का ट्रायल पूरा कर लेगी. आरडीआईएफ डॉ रेड्डीज के साथ स्पुतनिक की मंजूरी के बाद उसे देश भर में पहुंचाने के लिए बात कर रही है.
आरडीआईएफ के प्रमुख किरिल दमित्रीव ने इस हफ्ते की शुरूआत में कहा कि रूस और इसके विदेशी सहयोगियों के पास इतनी क्षमता है कि वो अगले साल से 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दे सकें. भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत प्रति व्यक्ति 10 डॉलर होगी. शुक्रवार को जारी संयुक्त बयान में यह भी कहा गया है कि स्पुतनिक वी का तीसरे चरण का ट्रायल बेलारुस, संयुक्त अरब अमीरात, वेनेजुएला और दूसरे देशों में भी चल रहा है.
आरडीआईएफ और गामालेया नेशनल सेंटर ने मंगलवार को कहा कि अंतरिम क्लिनिकल ट्रायल के आंकड़ों ने दिखाया है कि स्पुतनिक वी 28वें दिन 91.4 प्रतिशत और 42वें दिन 95 फीसदी प्रभावी है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो दूसरी वैक्सीन तैयार की जा रही है, उनका प्रभाव भी 90 फीसदी या उससे थोड़ा ज्यादा है.
अगस्त में वैक्सीन बनाने की घोषणा कर रूस बाकी देशों से इस मामले में आगे निकल गया लेकिन यह ऐलान पर्याप्त क्लिनिकल ट्रायल के बगैर ही किया गया, इसलिए बहुत से देशों को इस पर उतना भरोसा नहीं हुआ. अभी भी इसके तीसरे चरण के ट्रायल चल ही रहे हैं. रूस में 40 हजार लोगों पर इसका परीक्षण किया जा रहा है. स्पुतनिक को यह नाम सोवियत संघ के जमाने वाले एक सेटेलाइट से मिला है.
स्पुतनिक के अलावा फिलहाल मॉडेर्ना और ऑक्सफोर्ड के वैक्सीन की चर्चा हो रही है. इन दोनों ने भी 90-95 फीसदी प्रभावी होने का दावा किया है. उम्मीद की जा रही है कि अगले साल के शुरुआती महीनों में लोगों को वैक्सीन मिलना शुरू हो जाएगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके व्यापक वितरण के लिए बीते कई महीनों से तैयारियां चल रही हैं.
एनआर/आईबी (रॉयटर्स, एएफपी)
__________________________
हमसे जुड़ें: WhatsApp | Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore