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भारत में विदेशी निवेश 22 फीसदी घटा

२० फ़रवरी २०११

2010 में भारत को 21 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल हुआ. यानी विदेशियों ने भारत में 96 हजार 104 करोड़ रुपये लगाए जो साल 2009 की तुलना में 22 फीसदी कम है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस पर चिंता जता चुके हैं.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

उद्योग मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2009 में 27 अरब अमेरिकी डॉलर यानी एक लाख 30 हजार 980 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश हुआ था.

विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी निवेशक दुनिया में आर्थिक मंदी से उबार के दौरान कुछ सावधानी बरत रहे हैं. एक अर्थशास्त्री के मुताबिक, "वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी से उबरने की प्रक्रिया काफी धीमी रही है. खासतौर पर यूरोप में. मेरे ख्याल से इसी का असर भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर पड़ रहा है. साथ ही भारत में लंबी प्रक्रिया में लगने वाला वक्त भी एक बाधा बन रहा है."

रिजर्व बैंक चिंतित

घटते विदेशी निवेश को लेकर देश का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक भी गंभीर है. उसने एक पैनल के गठन का फैसला किया है जो निवेश में आई कमी की वजहों को पता लगाएगा. इस पैनल को ऐसे सुझाव देने का काम सौंपा गया है जिससे देश में विदेशी निवेश को बढ़ाया जा सके.

परेशानी की बात यह है कि विदेशी निवेश का घटना लगातार जारी है. चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर अवधि के दौरान इसमें 23 फीसदी की कमी आ चुकी है. इस दौरान 16.03 अरब डॉलर का निवेश हुआ है जबकि इसी अवधि में बीते साल भारत को 20.86 अरब डॉलर का निवेश मिला था.

पिछले साल जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा विदेशी पैसा आया उनमें सर्विस सेक्टर सबसे ऊपर है. इसके अलावा टेलीकम्यूनिकेशन, रीयल एस्टेट, कन्सट्रक्शन और बिजली सेक्टर में भी निवेश हुआ. मॉरिशस, सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड्स, जापान, जर्मनी और संयुक्त अरब अमीरात भारत के प्रमुख विदेशी निवेशक हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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