भारत सरकार ने फेंका सुधार का पासा
१४ सितम्बर २०१२गुरुवार को डीजल की कीमत में इजाफे के एलान के साथ ही आर्थिक सुधार का पहिया चल निकला. एक तरफ खुदरा बाजार में विदेशी निवेश को मंजूरी मिली तो दूसरी ओर विदेशी एयरलाइंस को घरेलू एयरलाइंस में शेयर खरीदने की अनुमति. इसके साथ ही ऑयल इंडिया जैसी बड़ी सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने पर विचार हो रहा है. कैबिनेट की एक दूसरी कमेटी बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं की मंजूरी में तेजी लाने पर चर्चा कर रही है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स को अलग अलग सूत्रों से मिली जानकारी पर यकीन करें तो बहुत मुमकिन है कि भारत सरकार जल्दी ही 2012/13 के लिए खर्च में कटौतियों का एलान करे. हालांकि यह कटौती किस रूप में होगी इस पर कोई जानकारी नहीं है.
चारों ओर से घिरी भारत सरकार ने सधी हुई चाल से आर्थिक सुधारों की सुगबुगाहट शुरू की है. कई महीनों से रुके सुधारों की वजह से अर्थव्यवस्था की चाल मंद पड़ गई है. हालांकि विपक्षी पार्टियों के साथ ही सरकार के भीतर से भी विरोध के सुर बुलंद हो रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में सुधार के कदमों को आगे न बढ़ाने और सब्सिडी के बोझ को न घटा पाने की वजह से विकासशील देशों के संगठन ब्रिक्स के बीच भारत अकेला ऐसा देश बन गया जिसकी क्रेडिट रेटिंग में कमी की गई. वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "सरकार वित्तीय घाटे को बजट लक्ष्य में बताए जीडीपी के 5.1 फीसदी के जितना करीब मुमकिन हो सकता है, लाएगी."
गुरुवार को डीजल की कीमत 14 फीसदी बढ़ाना पिछले 15 महीनों में पहला ऐसा कदम था जो कमजोर मौद्रिक स्थिति को सुधारने के उद्देश्य से उठाया गया. हालांकि इसे आम लोगों और देश के प्रमुख विपक्षी दलों के साथ ही सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने भी खारिज कर दिया है. कांग्रेस इस मुद्दे पर अकेली पड़ती नजर आ रही है. वामपंथी दलों के साथ ही दक्षिणपंथी और क्षेत्रीय पार्टियां भी पूरा दम लगा कर इस कदम का विरोध कर रही हैं.
जी 20 देशों के ज्यादातर बैंक दुनिया में फैली मंदी से लड़ने के लिए मुद्रा की स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक भी लगातार महंगाई को देश के लिए बड़ा जोखिम बता रहा है, खासतौर से ऐसी स्थिति में जब विकास की गाड़ी लड़खड़ा रही हो. सरकार का मौजूदा कदम महंगाई को कुछ दिनों के लिए और बढ़ा देगा इसमें कोई शक नहीं लेकिन रिजर्व बैंक के लिए आने वाले दिनों में मौद्रिक नीति में थोड़ी नरमी लाने की गुंजाइश बन जाएगी. इससे भारत सरकार की नीतियों पर भरोसा खो रहे निवेशकों का विश्वास लौटे सकता है.
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से जुड़ी अर्थशास्त्री अनुभूति सहाय कहती हैं, "यह एक बड़ा कदम है और रिजर्व बैंक को मुद्रा के मामले में सरकार की कोशिशों का मजबूत संकेत देगा." रिजर्व बैंक की तरफ से इस कदम पर तुरंत कोई जवाब सोमवार को मिल सकता है, जब आरबीआई के अधिकारी इस पर चर्चा करेंगे. हालांकि महंगाई के आंकड़े बता रहे हैं कि आरबीआई पर भी दबाव बहुत ज्यादा है और ज्यादातर अर्थशास्त्री इस बार किसी कटौती की आशा नहीं कर रहे.
भारत में खाने पीने की चीजों का थोक मूल्य सूचकांक उम्मीद से ज्यादा 7.55 फीसदी तक ऊपर चला गया है. खाने पीने की चीजों की बढ़ी कीमत और खराब मानसून इसकी सबसे बड़ी वजह है. अब डीजल के दाम बढ़ने से इसमें 60 बेसिक प्वाइंट का और इजाफा होने के आसार हैं. भ्रष्टाचार के मामलों में घिरी कांग्रेस की सरकार फिलहाल बचाव की मुद्रा में है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी जवाब मांग लिया है. ऐसे में आर्थिक सुधारों के जरिए लोगों का ध्यान बांटने की कोशिश हो रही है.
एनआर/एमजे (रॉयटर्स, पीटीआई)