नासा ने भारतीय इंजीनियर की खोज की पुष्टि की है.
३ दिसम्बर २०१९अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि उसने चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का मलबा ढूंढ निकाला है. नासा ने अपने लूनर रेकानेसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) की मदद से यह दावा किया है. नासा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से मलबे वाली जगह की तस्वीरें ट्वीट की है. मिशन चंद्रयान-2 के तहत भेजे गए विक्रम लैंडर को 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरना था, उसके बाद रोवर चांद पर उतरकर जानकारी इकट्ठा करता लेकिन उससे पहले ही विक्रम लैंडर का संपर्क भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से टूट गया. बताया गया कि विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी.
नासा ने जो दावा किया है उसके मुताबिक लैंडर का मलबा चांद की सतह पर बिखरा पड़ा है. नासा ने अपने दावे को मजबूती के साथ पेश करते हुए पहले और बाद की तस्वीरें भी ट्वीट की है. नासा ने अपनी रिपोर्ट में समझाया कि लैंडर का इम्पैक्ट साइट कहां है और उससे जुड़ा मलबा कहां तक फैला है. नासा ने तस्वीर के जरिए विस्तार से समझाते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा चांद की सतह पर विक्रम लैंडर के टकराने से मिट्टी को नुकसान पहुंचा है. नासा ने तस्वीर में हरे और नीले डॉट्स की मदद से बताया कि लैंडर के कई टुकड़े चांद की सतह पर फैले हुए हैं. नासा ने कहा हरे डॉट्स मलबे और नीले डॉट्स मिट्टी को प्रभावित करने को इंगित कर रहे हैं. नासा की तस्वीर में जो 'S' दिख रहा है वह भारतीय इंजीनियर शनमुगा सुब्रमण्यम ने खोजी थी. नासा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने विक्रम लैंडर को खोजने के लिए सभी वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष में रूचि लेने वालों से अपील की थी. इसके तहत नासा ने 26 सितंबर को प्रभावित स्थल की मोजैक तस्वीर जारी की थी, शनमुगा ने एलआरओ से तस्वीरें डाउनलोड की थी और उसके बाद अध्ययन किया. नासा ने कहा कि शनमुगा ने मुख्य दुर्घटनास्थल से करीब 750 मीटर उत्तर पश्चिमी में मलबा खोज निकाला है.
ऐसे हुई पहचान
नासा की रिपोर्ट के मुताबिक, "यह जानकारी मिलने के बाद, एलआरओ दल ने पहले की और बाद की तस्वीरें मिला कर इसकी पुष्टि की. पहले की तस्वीरें जब मिलीं थी तब खराब रोशनी के कारण प्रभावित स्थल की आसानी से पहचान नहीं हो पाई थी." नासा ने कहा कि इसके बाद 14 -15 अक्टूबर और 11 नवंबर को दो तस्वीरें हासिल की गईं. एलआरओ की टीम ने इसके आसपास के इलाके में छानबीन की, उसके मुताबिक नवंबर में मिली तस्वीरें हाई रेजॉल्यूशन की होने की वजह से मलबे की पहचान आसानी से हो पाई. नासा के मुताबिक मलबे के तीन सबसे बड़े टुकड़े 2x2 पिक्सैल के हैं. नासा ने जो तस्वीरें ली है वह एक किलोमीटर की दूरी से ली गई है.
चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था. 13 अगस्त को यान ने पृथ्वी की अंतिम कक्षा छोड़ चांद का रुख किया. 20 अगस्त को यान चंद्रमा के पोलर ऑर्बिट में पहुंचा. इसके बाद दो सितंबर को चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से विक्रम लैंडर अलग हुआ और चार दिन बाद लैंडर की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर क्रैश लैंडिंग हुई थी.
चंद्रमा की सतह पर सफलता से उतरने का कारनामा अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही कर पाए हैं.
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