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भारतीय पायलटों की जांच होगी

१४ मार्च २०११

भारत के पायलटों के दस्तावेजों की जांच की जाएगी. अब तक कमर्शियल फ्लाइट उड़ा रहे चार पायलट फर्जीवाड़े के मामलों में फंस चुके हैं. मामला सामने आने के बाद 4,000 पायलट जांच की प्रक्रिया से गुजरेंगे.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

ताजा गिरफ्तारी एयर इंडिया के पालयट की हुई है. आरोप है कि कमर्शियल पायलट का लाइसेंस पाने के लिए उन्होंने फर्जी दस्तावेजों को सहारा लिया. यह चौथा मामला है जब किसी पायलट को फर्जीवाड़े के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

मामले की गंभीरता को देखते हुए भारतीय नागरिक उड्ड्यन नियामक महानिदेशालय, डीजीसीए ने सभी पायलटों के लाइसेंस और दस्तावेजों की जांच करने का फैसला किया है. न्यूज चैनल सीएनएन-आईबीएन से बात करते हुए डीजीसीए के निदेशक भारत भूषण ने कहा कि 4,000 लाइसेंसों की जांच की जाएगी.

मामला एक महिला पायलट के फंसने के बाद सामने आया. इंडिगो की महिला पायलट ने एयरबस के विमान को पिछले पहियों पर उतारने के बजाए नाक के बल आगे वाले पहियों पर उतार दिया. इसकी वजह से फ्लाइट की सुरक्षा खतरे में पड़ी और विमान को भी खासा नुकसान पहुंचा. जांच में पता चला कि महिला पालयट ने दस्तावेजों में छेड़छाड़ की और पायलट का लाइसेंस हासिल किया. डीजीसीए के महानिदेशक भूषण ने कहा, ''हमने पाया कि उनकी लैंडिंग तकनीक में कुछ कमियां थीं. उन्होंने नकली मार्कशीट के जरिए पायलट का लाइसेंस पाया था. मामले की जब विस्तृत ढंग से जांच शुरू की गई तो ज्यादा नाम सामने आने लगे.''

दो पायलट ऐसे भी मिले जो को-पायलट के बाद का टेस्ट पास किए बिना ही कैप्टन बन गए. सुरक्षा की दृष्टि से यह तस्वीर डराने वाली है. भारत ने 1990 के दशक में अपने एयरलाइन बाजार को निजी कंपनियों के खोला. तब से लगातार देश में हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ती चली जा रही है. बीते 12 महीनों में हवाई यात्रियों की संख्या 25 फीसदी बढ़ी है. लेकिन एयरलाइन कंपनियों के सामने ऑपरेटिंग खर्चा और पायलटों की ऊंची तनख्वाह एक चुनौती बनी हुई है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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