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भारतीय बाघ को बचाने के लिए काम करेंगे लियोनार्डो

२५ सितम्बर २०१०

भारत में बाघ घट रहे हैं और यह मुद्दा दुनियाभर में चिंता का विषय है. इसलिए अब दुनिया के जाने माने लोग भारत के बाघ को बचाने के लिए मुहिम से जुड़ना चाहते हैं. हॉलीवुड स्टार लियोनार्डो डि कैप्रियो भी उनमें शामिल हो गए हैं.

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लियोनार्डो फिल्म टाइटेनिक मेंतस्वीर: picture alliance/dpa

टाइटेनिक जैसी सुपरहिट फिल्मों के जानेमाने कलाकार लियोनार्डो डि कैप्रियो अपनी लोकप्रियता का इस्तेमाल भारतीय बाघ के लिए दुनियाभर में जागरुकता फैलाने में करेंगे. इस बारे में भारत की सरकार से उनकी बातचीत भी हो गई है. पर्यावरण मंत्रालय ने हॉलीवुड स्टार से बात की है. पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने शनिवार को न्यूयॉर्क में लियोनार्डो से मुलाकात की. अंतरराष्ट्रीय संस्था रेनफॉरेस्ट नेशंस के जरिए लियोनार्डो और भारत सरकार एक दूसरे के साथ मिलकर काम करेंगे.

पर्यावरण मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "लियोनार्डो डि कैप्रियो ने मंत्री जयराम रमेश से मुलाकात की और भारतीय बाघ को बचाने के लिए अपना योगदान देने की दिलचस्पी जाहिर की. वह लोगों को जागरुक करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं." इस अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लियोनार्डो डि कैप्रियो जल्दी ही भारत आने की योजना बना रहे हैं ताकि वह बाघ को बचाने के लिए चलाई जा रही योजना का हिस्सा बन सकें.

भारत में पिछले कुछ सालों में बाघों की संख्या में तेजी से कमी आई है. 2002 में देश में लगभग 3700 बाघ थे लेकिन अब इनकी संख्या सिर्फ 1350 रह गई है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद इस बात को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं. उन्होंने एक एक्शन फोर्स का भी गठन किया है जो बाघ बचाने की योजना में जुटी हुई है. इसके तहत पूर्व सैनिकों को बाघों की रक्षा के काम में लगाया जा रहा है. लेकिन सारी कोशिशों के बावजूद पिछले साल भी शिकारियों ने 32 बाघों को मार डाला. इस साल अब तक तीन बाघ मारे गए हैं.

इस सिलसिले में कई हस्तियां योजना से जुड़ चुकी हैं. पिछले दिनों बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन भी प्रचार अभियान का हिस्सा बने. दुनियाभर में बाघ का शिकार करना गैरकानूनी है. 167 देशों ने एक समझौता करके बाघ के अंगों के व्यापार को प्रतिबंधित किया है. भारत भी इस समझौते का हिस्सा है. लेकिन चीन, थाईलैंड, म्यांमार और कई अन्य एशियाई देशों में बाघ के अंगों की खासी मांग है क्योंकि इनका इस्तेमाल दवाइयां बनाने में होता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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