भारतीय सेना प्रमुख की उम्र का विवाद खत्म
१० फ़रवरी २०१२भारत ने सिंह के कार्यकाल में लंबे चौड़े रक्षा सौदे किए हैं. फ्रांस से 126 रफाएल विमान खरीदने का फैसला मामूली नहीं है लेकिन सिंह का कार्यकाल सेना के आधुनिकीकरण के लिए नहीं, बल्कि उनके उम्र से उपजे विवाद के लिए जाना जाएगा. सिंह को इसलिए भी याद नहीं किया जाएगा कि उनके कार्यकाल में कोई घोटाला हुआ या नहीं, सीमा पर कोई विवाद हुआ या नहीं. बल्कि इसलिए कि उनकी जन्म की तारीख 1950 थी या 1951.
सम्मान की रक्षा
हालांकि रक्षा मंत्रालय और भारतीय सेना में आखिरी मौके पर सहमति बन जाने से दोनों के सम्मान को बहुत हद तक बचाया जा सका. खास कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना और सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए यह अहम रहा. फिर भी अपील वापस लेने के साथ सिंह को अब इसी साल रिटायर होना पड़ेगा और हो सकता है कि वह तय वक्त से पहले ही पद छोड़ दें.
जनरल वीके सिंह ने दावा किया था कि उनकी जन्म की तारीख 10 मई, 1951 है, जबकि सरकारी दस्तावेज में यह 10 मई, 1950 दर्शाई जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर विचार करने से ही इनकार कर दिया और कहा कि वह सरकारी प्रक्रियाओं में अपनी मौजूदा जन्मतिथि को स्वीकार कर चुके हैं. सिंह ने 2008 और 2009 में तरक्की के मामले में अपनी जन्मतिथि 1950 को स्वीकार किया था. अदालत ने कहा कि सरकार की तरफ से कोई भेदभाव वाला कदम उठाया गया नहीं लगता है.
लगभग दो घंटे तक चली अदालती कार्रवाई के दौरान कोर्ट खचाखच भरा था और भारत में पहली बार इस अजीबोगरीब स्थिति पर सबकी नजर थी. लेकिन एक तरफ जनरल सिंह ने अपना केस वापस ले लिया, तो दूसरी तरफ भारत के अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवति ने 30 तारीख के सरकारी आदेश को वापस लिए जाने की घोषणा की. इस आदेश में रक्षा मंत्रालय ने वीके सिंह की जन्मतिथि संबंधू अर्जी ठुकरा दी थी. इस तरह दोनों पक्षों ने एक एक कदम पीछे हटा लिया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामला खत्म कर दिया और फैसला सुनाने की दुविधा से बच गया.
जनरल से सवाल
जनरल सिंह इस आदेश के समय अदालत में मौजूद नहीं थे. हालांकि उन्होंने राजस्थान जाने का अपना दौरा रद्द कर दिया था. सरकार ने दलील दी कि रिकॉर्ड में अब जन्मतिथि को बदलना संभव नहीं है क्योंकि यह एक व्यापक प्रक्रिया है. अदालत ने सिंह से पूछा कि जब यूपीएससी में उनकी पैदाइश गलत लिखी थी, तो उन्होंने वहां उसे ठीक कराने की कोशिश क्यों नहीं की. मामला खत्म होने के बाद सिंह के वकील पुनीत बाली ने कहा कि यह केस गरिमा के साथ खत्म हो गया क्योंकि "उनके मुवक्किल अपने कार्यकाल को एक साल बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा के लिए लड़ रहे थे."
इसके साथ ही सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि पिछले साल जुलाई का फैसला वापस नहीं लिया जाएगा, जिसमें जनरल सिंह की आयु 1950 के हिसाब से निर्धारित की गई है. इससे पहले सिंह ने मई, 2011 में सरकारी रिकॉर्ड के अपने डेट ऑफ बर्थ को चुनौती दी थी और दावा किया था कि मैट्रिक के सर्टिफिकेट के हिसाब से उनकी आयु 1951 के आधार पर तय होनी चाहिए.
पिछले साल दिसंबर में जब सरकार ने उनकी बात नहीं मानी, तो वीके सिंह ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दे दी. हालांकि वहां से फैसले के बाद हो सकता है कि वह मीयाद से पहले ही रिटायर हो जाएं. वैसे में सरकार को जल्द ही नया सेना प्रमुख चुनना होगा, जिसके लिए वेस्टर्न आर्मी कमांडर शंकर घोष, सेंट्रल आर्मी कमांडर वीके अहलूवालिया और ईस्टर्न आर्मी कमांडर बिक्रम सिंह के नामों की चर्चा है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः महेश झा