भूकंप पैदा करता है सोना
१८ मार्च २०१३नेचर जियोसाइंस पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भूकंप के फौरन बाद ही पृथ्वी के भीतर सोना जमा हो जाता है. ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चरों के अनुसार ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जमीन के फटने से जो जगह बनती है वह तत्काल ही एक द्रव से भर जाती है. इससे दबाव में काफी कमी आ जाती है. दबाव के चलते द्रव फैलने लगता है और तेजी से वाष्पीकृत होता है. इस प्रकिया में द्रव में घुले जितने भी सोने के कण होते हैं वे फौरन नीचे बैठ जाते हैं.
कितने सालों में तैयार भंडार
माना जाता है कि नियमित भूकंप से सोने का भंडार बन सकता है. जिस इलाके में बार बार भूकंप की घटनाएं सामने आती हैं वहां सोना धीरे धीरे इकट्ठा होता रहता है. लेकिन भूकंप के हल्के या सिर्फ एक झटके से इस तरह की घटना नहीं होती. इससे सिर्फ सोने की एक पतली परत तैयार होती है.
वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च से पता लगाया है कि 100 टन सोने का भंडार तैयार होने में सौ हजार सालों का समय लग सकता है. इसलिए मौजूदा समय में जिन इलाकों में भूकंप की ज्यादा घटनाएं सुनने को मिलती हैं, जरूरी नहीं कि वहां सोने का भंडार भी हो.
कब बना मौजूदा भंडार
रिसर्चरों का मानना है कि दुनिया भर में जमीन के अंदर सोने के भंडार करीब तीस अरब साल पहले बने जब पृथ्वी पर पहाड़ों के निर्माण के दौरान दरारें बन रही थीं. लेकिन इस निर्माण के लिए कितने दबाव की जरूरत होती है इसका अंदाजा नहीं था.
इस आकलन के लिए वैज्ञानिकों ने भूकंप प्रभावित इलाकों में दबाव नापने के लिए सांख्यिक मॉडल का इस्तेमाल किया. ऐसा करने से उन्हें पृथ्वी के भीतर सोने के निर्माण से जुड़े बहुत से सवालों के जवाब मिले. उन्हें यह भी पता चला कि अत्यंत घुली हुई परिस्थिति से यह धातु इतना संकेंद्रिय कैसे होता है और खनन लायक ठोस स्थिति में कैसे आता है.
भारत सबसे बड़ा खरीदार
दुनिया भर में सोने की सबसे बड़ी खानें ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और अर्जेंटीना में हैं. जबकि सोने की सबसे ज्यादा खपत भारत में होती है. वह सोने का सबसे बड़ा आयातक है. सोने की खपत में दूसरा नंबर चीन और फिर अमेरिका का आता है. दुनिया भर में सोने की कुल खरीदारी में से 25 फीसदी खरीदारी भारतीय करते हैं. वह मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल गहनों में करते हैं. भारत में तकरीबन 800 टन सोना हर साल खरीदा जाता है.
एसएफ/एमजे (एएफपी)