भोजन में छिपा है कदकाठी का राज
१७ अक्टूबर २०१२शरीर के छोटे या बड़े होने की वजह है खुराक. जी हां, खुराक यानी भोजन की उपलब्धता ही वो राज है जिस पर स्तनपायी जीवों का आकार निर्भर करता है. ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित जीव विज्ञानी एलिस्टेयर ईवान्स का कहना है कि मुख्य रूप से भोजन ही वो तत्व है जो वक्त के साथ स्तनपायी जीवों का आकार तय करता है.
जैसे अफ्रीकी हाथी को लें. पिछले 100 सालों में अफ्रीकी हाथी को भोजन के लिए इंसानों के साथ संघर्ष करना पड़ रहा है. जाहिर है उसका आकार छोटा हुआ है. इसके आलावा शिकारी भी झुंड में बड़े जानवर को ही मारने की कोशिश करते हैं. इस वजह से कमजोर जानवरों के ही बचने और विकास की संभावना होती है. इसके उलट व्हेल के पास समुद्र में खाने के लिए प्रोटीन से भरी हुई पर्याप्त मात्रा में मछलियां पाई जाती हैं. ईवान्स कहते हैं, "ये भोजन की उपलब्धता है जो पृथ्वी पर पाए जाने वाले स्तनपायी जीवों को समुद्री जीवों के मुकाबले बड़ा नहीं बनने देती. एक दौर था जब हमसे भी बड़े बंदर हुआ करते थे. लेकिन अब लगता है कि आगे चलकर हमारा शरीर कभी उतना बड़ा नहीं रह जाएगा."
ईवान्स उस टीम का भी नेतृत्व कर रहे हैं जो पूरी दुनिया के स्तनपायी जीवों के बारे में आंकडे़ इकट्ठा कर रही है. मोनाश युनिवर्सिटी की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि वजन बढ़ने में कई लाख साल लग जाते हैं. इसमें ये भी कहा गया है कि वजन घटने में उतना वक्त नहीं लगता जितना कि बढ़ने में.
ईवान्स की टीम अपने शोध के बाद इस नतीजे पर पहुंची है कि जानवरों की अगली पीढ़ी या तो विकसित हुई है या फिर सिकुड़कर छोटी हुई है. जैसे हाथी के सबसे पहले पूर्वज चूहे के आकार के थे. वैज्ञानिकों का कहना है कि चूहों के आकार वाले पूर्वजों से विकसित होकर हाथी बनने में 2 करोड़ 40 लाख पीढ़ियों का वक्त लगा. अगर इसी तरह खाने पीने की किल्लत रही तो हाथी को घटकर चूहा बनने में 20 लाख पीढ़ियों का वक्त लगेगा.
ईवान्स का कहना है कि आज से 6 करोड़ 50 लाख साल पहले डायनासोर काफी विशाल हुआ करते थे लेकिन जब कमजोर होने की प्रक्रिया शुरु हुई तो कुछ लाख सालों के अंदर ही 100 किलोग्राम के जानवर में तब्दील हो गए. ईवान्स इंसान के शरीर में बदलाव का कोई बड़ा कारण नहीं देखते. उनका कहना है, "विकास की प्रक्रिया में बड़े बदलाव के लिए चुनिंदा दबाव लगना चाहिए, लेकिन दवाइयों की वजह से ये दबाव कम हो गया है. मोटापे की समस्या को ध्यान में रखते हुए और ये जानते हुए कि इंसानों को पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध कराया जा सकता है, अगले कई सौ सालों तक इंसान के सामने शरीर का आकार छोटा होने की संभावना नहीं है."
वीडी/एमजे (डीपीए)