मंथन की बढ़ती लोकप्रियता
२२ जनवरी २०१४आजकल दिल्ली में काफी सर्दी पड़ रही है और दो दिन से कोहरे ने भी दिल्ली को घेर रखा है. ऐसे में दिल्ली वाले ज्यादातर घरों में रह कर पकोड़े के साथ गरमा गरम चाय की चुस्की का मजा लेते हैं. मैं भी चाय के साथ आपकी वेबसाइट की रीडिंग करता हूं और घर बैठे यूरोप के बारे में ताजा समाचार और जर्मन की संस्कृति से रूबरू हो रहा हूं. अच्छी जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. - अबरार खान, दिल्ली
मैं सच्चे दिल से आपको अपने आत्मा की आवाज को सुनते हुए लिख रहा हूं कि आपकी वेबसाइट बहुत ही ज्ञानवर्धक है और सच में आप लोग जर्मनी में बैठ कर कितनी तीव्रता के साथ समाचारों को वेब पर लोड करते हैं वह भी सम्पूर्ण जानकारी के साथ. वास्तव में आप लोग बहुत ही दिल से काम करते हैं, आज से नहीं 10 साल पहले से मैं आपके रेडियो को सुनता आ रहा हूं. डीडब्ल्यू को मैं बहुत पहले से फालो करता आ रहा हूं और आप के माध्यम से जर्मनी और यूरोप को अच्छी तरह से जानने का मौका मिलता है. मैंने ललिता चोपड़ाजी, राम यादवजी की देखरेख में डीडब्ल्यू को भारत में तेजी के साथ फैलते हुए देखा है. आज लाखों की संख्या में डीडब्ल्यू के चाहने वाले है और उन लाखों में मैं भी हूं. बहुत खुशी की बात है कि आप लोगों ने साप्ताहिक ज्ञान प्रतियोगिता का आरम्भ किया है जिसका हम स्वागत करते हैं. - अमीर अहमद, दिल्ली
आज एक बार फिर शनिवार और मंथन के साथ जुड़े रहे हम. आज का कार्यक्रम मंथन पसन्द आया. जैसे जैसे मंथन का एपीसोड बढ़ता जा रहा है उसी तरह हमारी आयु भी, जिसकी वजह से बच्चों वाला शौक सुनना लिखना खत्म होता जा रहा है. आपकी वेबसाइट पर जो जानकारी मिलती है वह सराहनीय है. मुझे बहुत ही खुशी है कि आपकी वेबसाइट पर हर तरह की जानकारी मिलती है. उम्मीद है कि आप विज्ञान के क्षेत्र में और ज्यादा जानकारी देने की कोशिश करेंगे. - मोहम्मद असलम, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
मैं आपकी वेबसाइट को नियमित रूप से देखता हूं. आपकी वेबसाइट मुझे खूब पंसद आती है जहां से विश्व व दुनिया के कोने कोने की जानकारियां मुझे मिलती रहती हैं. इन दिनों सोची ओलंपिक खेलों की चर्चा है, जिसमें खिलाड़ी बड़े उत्साह से भाग ले रहे हैं. मैं खेल जगत की खबरें अधिक से अधिक पाना चाहता हूं. - चेनाराम बारूपाल, बुठ राठौड़ान, बाड़मेर, राजस्थान
मैं तो सच में साइंस का दीवाना हूं ही और मंथन जैसा शो जब देखने को मिले तो कोई भी दीवाना हो जाये. हम हैं साइंस के दीवाने. - राहुल सिंह, सलेमपुर, उत्तर प्रदेश
अनाज की बर्बादी और कैसे अन्न को बर्बाद होने से रोकें - अन्न का बुद्धिमत्तापूर्ण उपभोग और प्रबंधन बेहद जरूरी है क्योंकि नई पीढ़ी खेत-खलिहानों से बेरुखी दिखा रही है. इनकी उपेक्षा ठीक नहीं. सप्ताहांत में हमें खेतों की ओर उत्पादक कार्यों के लिए अनिवार्य रूप से जाना चाहिए. - माधव शर्मा, राजकोट, गुजरात
संकलनः विनोद चड्ढा