मतभेदों के चलते इन नेताओं को गवांनी पड़ी जान
दुनिया में हर नेता अपने विचार और काम से बड़ा बनता है. लेकिन कई बार यही सोच उनकी जान की दुश्मन बन जाती है. एक नजर भारत के उन नेताओं पर जिनकी मौत स्वाभाविक नहीं रही, बल्कि वैचारिक मतभेदों के चलते उनकी हत्या कर दी गई.
महात्मा गांधी
इस सूची में पहला नाम आता है महात्मा गांधी का. दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले गांधी को 30 जनवरी, 1948 में नाथूराम गोडसे ने मौत के घाट उतार दिया. कट्टर हिंदूवादी गोडसे हिंदू महासभा से जुड़ा था और गांधी को भारत-पाकिस्तान बंटवारे और देश को कमजोर बनाने के लिए जिम्मेदार मानता था.
इंदिरा गांधी
दूसरा नाम है देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का. 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी को उनके अपने ही सिख बॉडीगार्डों ने गोली से छलनी कर दिया. इंदिरा गांधी की हत्या की वजह बना सैन्य ऑपरेशन ब्लू स्टार. अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में चलाए गए ऑपरेशन से सिख नाराज थे.
राजीव गांधी
इंदिरा गांधी के बेटे और देश के युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी एक आत्मघाती हमले का शिकार बने. श्रीलंका में सक्रिय अलगाववादी संगठन लिट्टे के खिलाफ अपनाई गई नीति राजीव गांधी की मौत का कारण बनी. 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनाव रैली के दौरान उन्हें निशाना बनाया गया था.
प्रमोद महाजन
बीजेपी के दिग्गज नेताओं में शुमार प्रमोद महाजन को उनके अपने सगे भाई प्रवीण महाजन ने 3 मई, 2006 को मौत के घाट उतार दिया था. जेल में रहते हुए प्रवीण ने अपनी किताब में प्रमोद को दोहरे चरित्र का इंसान बताया था. साल 2010 में ब्रेन हैमरेज के चलते प्रवीण महाजन की भी मौत हो गई.
विद्या चरण शुक्ल
कांग्रेस के धाकड़ नेताओं में शुमार विद्या चरण शुक्ल को राजनीति विरासत में मिली थी. 1975-77 में आपातकाल के दौरान वे देश के सूचना और प्रसारण मंत्री थे. 25 मई, 2013 को छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हुए नक्सली हमले में शुक्ल भी बुरी तरह घायल हुए. इलाज के दौरान 11 जून 2013 को उनकी मौत हो गई.
महेंद्र कर्मा
छत्तीसगढ़ से जुड़े कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा ने राज्य में सलवा जुडूम को शुरू किया था. जिसके चलते वह नक्सलियों के निशाने पर थे. कई हमलों में वह बच भी गए. लेकिन साल 2013 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हुए नक्सली हमले में वह बच नहीं सके और जान गवां बैठे. इस हमले में करीब 23 लोग मारे गए थे.
हरेन पांड्या
गुजरात में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व गृहमंत्री रहे हरेन पांड्या की साल 2003 में हत्या कर दी गई थी. इस मामले में हमलावर ने पड्ंया पर एकदम नजदीक से गोली चलाई थी.