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महिलाओं के लिए सिगरेट छोड़ना ज्यादा मुश्किल

७ अप्रैल २०१२

सिगरेट पीना बुरी लत है. यह सब जानते हैं लेकिन फिर भी कई लोग सिगरेट छोड़ नहीं पाते. अब एक रिसर्च में पता चला है कि महिलाओं के लिए धूम्रपान छोड़ना और भी ज्यादा मुश्किल है. उन पर पारंपरिक इलाज का असर नहीं होता है.

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तस्वीर: AP

अध्ययन में समझाया गया है कि आखिर महिलाओं को धूम्रपान छोड़ने में ज्यादा मुश्किल क्यों होती है. अध्ययन के मुताबिक जब कोई पुरुष धूम्रपान करता है तो दिमाग के निकोटीन रिसेप्टर निकोटीन को बांध लेते हैं. इसकी वजह से शरीर में प्राकृतिक रूप से होने वाला निकोटीन रिसाव बंद हो जाता है. साथ ही शरीर ज्यादा निकोटीन का आदी हो जाता है. निकोटीन रिसेप्टरों की संख्या भी बढ़ जाती है. इसके चलते व्यक्ति को धूम्रपान की लत लग जाती है और शौक आदत में बदल जाता है.

निकोटीन रिसेप्टर का संबंध सांस, धड़कन, सीखने की क्षमता और स्मृति से होता है. भूख और मूड तय करने में भी इनकी भूमिका होती है. निकोटिन पुलिस की तरह भी व्यवहार करता है. वह यह तय करने लगता है कि दिमाग को क्या ग्रहण करना चाहिए और क्या नहीं.

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तस्वीर: Fotolia.de

अमेरिका की याले यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के मुताबिक धूम्रपान करने वाले पुरुषों के दिमाग में सिगरेट न पीने वालों से ज्यादा निकोटीन रिसेप्टर होते हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि महिलाओं में निकोटीन रिसेप्टरों की संख्या समान रहती है. महिला चाहे धूम्रपान करती हो या नहीं, इससे निकोटीन रिसेप्टरों की संख्या में कोई फर्क नहीं पड़ता. रिसर्च के लेखक केली कॉसग्रोव कहते हैं, "अगर आप लिंग के मुताबिक देखें तो बड़ा अंतर दिखाई पड़ता है."

यह जानकारी सामने आने के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि धूम्रपान की आदी महिलाओं का इलाज दूसरे ढंग से किया जाना चाहिए. रिसर्च टीम के मुताबिक पुरुष निकोटीन की तलब पूरी करने के लिए सिगरेट पीते हैं. अनुमान लगाया गया है कि महिलाएं धूम्रपान की गंध, सिगरेट को पकड़ने और स्टाइल के लिए सिगरेट पीती हैं. यही वजह है कि धूम्रपान की लत छुड़ाने के इलाज का महिलाओं को फायदा न के बराबर होता है.

इलाज के दौरान मरीजों को दूसरी तरह का निकोटीन दिया जाता है, जैसे चुइंगम या किसी टैबलेट के जरिए. पुरुषों पर इसका असर पड़ता है लेकिन यह तरीके महिलाओं को फायदा नहीं पहुंचाते. रिसर्च टीम के मुताबिक धु्म्रपान छोड़ने के लिए महिलाओं को मनोवैज्ञानिक इलाज की जरूरत है.

ओएसजे/एमजे (पीटीआई)

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